________________
( ५ ) श्रीअरिहन्त पद की आराधना स्वरूप दो द्रव्य के एकासणे ।
(६) एक ही द्रव्य ( चावल ) के आयंबिल ।
उपरोक्त तपश्चर्या अनेक संख्या में विशेष रूप से हुई ।
श्रीपर्युषण महापर्व के उपलक्ष में
१. मासखमरण यानी एक महिने के उपवास दुझारणा वाले माली सलाजी दोलाजी ने किये ।
२. सुश्री गजीबाई तिलोकचन्दजी ने भी मासखमरण किया,
तखतगढ़ ।
३. श्रीमान् कान्तिलाल धनरूपचन्दजी ने पंदरह उपवास किये, तखतगढ़ ।
४. श्रीलसुबहिन सरेमलजी ने भी पंदरह उपवास किये, तखतगढ़ ।
५. श्रीपुरीबाई रिखबचन्दजी ने दस उपवास किये, तखतगढ़ ।
६. अट्ठाई यानी आठ उपवास की संख्या अनेक रही ।
७. चौंसठ पहरी पौषध की संख्या ७५ उपरान्त हुई ।
(=)
दशाह्निका - महोत्सव
श्रीसंघ ने उक्त शासनप्रभावक, अनुमोदनीय, विशिष्ट धर्मआराधनाओं के उपलक्ष में श्री भक्तामरपूजन, श्री पार्श्वनाथ भगवान
परिशिष्ट- 7
( 97 )