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के १०८ अभिषेक पूजन, श्री नव्वाणु अभिषेक की पूजा युक्त श्री जिनेन्द्रभक्ति स्वरूप दशाह्निका-महोत्सव मनाने का निर्णय किया।
(१) भादरवा सुद ७ मंगलबार दिनांक १३-६-८३ को दशाह्निका-महोत्सव प्रारम्भ हुअा। रथ-हाथी-बैन्ड युक्त भव्य शानदार वरघोड़ा निकाला। श्री पंचकल्याणक की पूजा स्व० श्री देवीबाई के स्मरणार्थ शा० चुनोलालजी वीसाजी की ओर से पढ़ाई गई। शा० कान्तिलाल धनरूपचन्दजी के १५ उपवास एवं उनकी धर्मपत्नो अ० सौ० सुशीला बहिन के अट्ठाई तथा शा० सुखराज धनरूपचन्दजी की धर्मपत्नी अ० सौ० दाड़मी बहिन के अट्ठाई तप निमित्ते शा० लादमल, धनरूपचन्द किसनाजी की तरफ से स्वामोवात्सल्य हुआ और उन्हीं के घर पर बैन्ड तथा चतुर्विध संघ युक्त पूज्यपाद आचार्य म० सा० के पगलां हुए। ज्ञानपूजनमंगलाचरण के बाद प्रभावना भी हुई।
(२) भादरवा सुद ८ बुधवार दिनांक १४-६-८३ को प्रातः पू० श्री भगवती सूत्र के व्याख्यान प्रसंगे तपस्वी भाई-बहिनों का सम्मान समारोह हुआ। दोपहर में शा० सरेमल ठाकरजी की ओर से श्री अन्तराय कर्म निवारण की पूजा प्रभावना सहित पढ़ाई गई।
(३) भादरवा सुद ६ गुरुवार दिनांक १५-६-८३ को शा० मगनलाल मोतीजी की तरफ से श्री नवपदजी की पूजा प्रभावना सहित पढ़ाई गई।
(४) भादरवा सुद १० शुक्रवार दिनांक १६-६-८३ को शा० भूरमल पूनमचन्दजी की ओर से श्री वीशस्थानक को पूजा प्रभावना समेत पढ़ाई गई। शा० कपूरचन्दजी अमीचन्दजी की धर्मपत्नी सुश्री देवीबाई को श्री पद्मावती सुनाने के लिये उनके घर परमपूज्य आचार्य भगवन्त चतुर्विध संघ युक्त पधारे। वहाँ ज्ञानपूजन तथा श्री पद्मावती आदि श्रवण के पश्चात् प्रभावना हुई।
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