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________________ ( साधु-साध्वी वर्ग में ) ( १ ) परमपूज्य प्राचार्यदेव श्रीमद्विजयसुशीलसूरीश्वरजी म० सा० की श्री वर्द्धमान तप की ओली की पूर्णाहुति हुई । ( २ ) पूज्य साध्वी श्री भाग्यलता श्रीजी म० की चल रही श्री गौतमस्वामीजी के छट्ट की तपश्चर्या में १८५ छट्ट हो गये हैं । श्रागे चालू हैं । (३) पूज्य साध्वी श्री भव्यगुणा श्रीजी म० तथा पूज्य साध्वी श्री प्रफुल्लप्रभा श्रीजी म० की श्रीवर्षी तप की आराधना चल रही है । (४) पूज्य साध्वी श्री दिव्यप्रज्ञा श्रीजी म० ने क्रमश: ४५ श्रीवर्द्धमान तप की प्रोली पूर्ण कर ४६ वीं ओली का प्रारम्भ कर दिया है तथा पूज्य साध्वी श्री शीलगुणा श्रीजी म० ने भी ४८ वीं श्री वर्द्धमान तप की ओली पूर्ण कर ४६ वीं ओली का प्रारम्भ कर दिया है । (५) पूज्य साध्वी श्री यशः प्रभा श्रीजी म० की क्रमशः १०८ अट्टम की तपश्चर्या चल रही है । उसमें संलग्न ग्यारह उपवास की तपश्चर्या की है । ( श्रावक-श्राविका वर्ग में ) ( १ ) श्रीनमस्कार महामन्त्र के 8 एकास । (२) श्रीशंखेश्वर पार्श्वनाथ के अट्टम (तेले ) । (३) एक ही द्रव्य शीरे का ठाम चउविहार एकासणे । (४) श्रीगौतमस्वामीजी भगवन्त के छट्ट (बेले ) । ( 96 )
SR No.002288
Book TitleSiddhachakra Navpad Swarup Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandir
Publication Year1985
Total Pages510
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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