________________
वाजते - गाजते प० पू० प्रा० म० सा० आदि चतुर्विध संघ युक्त लाकर पधराये तथा ज्ञानपूजन एवं मंगलाचरण के बाद प्रभावना की। रात्रिजागरण में भी प्रभुभक्ति के पश्चाद् प्रभावना की ।
भादरवा सुद ३ शुक्रवार दिनांक ६-६-८३ को व्याख्यान में शा० प्रोटरमल ताराचन्दजी केलावाले की ओर से संघपूजा हुई । प० पू० आ० म० सा० को वन्दनार्थे बस द्वारा आये हुए डोरडा श्रीसंघ की तरफ से व्याख्यान के बाद प्रभावना हुई ।
भादरवा सुद ४ शनिवार दिनांक १० - ६ - ८३ को बारसा सूत्र का श्रवण, चैत्यपरिपाटी एवं संवत्सरी प्रतिक्रमण का कार्यक्रम सुन्दर रहा। श्रीपर्युषण महापर्व में प्रतिदिन प्रभुजी की रचाती हुई भव्य प्रांगी का उत्तम लाभ श्रीसंघ को मिलता रहा । नूतन 'श्रीश्रादिनाथ जैन आराधना भवन' में सर्व प्रथम बार देवद्रव्य, ज्ञानद्रव्य, साधारणद्रव्य आदि की विशिष्ट उपज एवं सकल संघ के अपूर्व उत्साह के साथ श्रीपर्युषणा महापर्व की मंगल आराधना सुसम्पन्न हुई ।
भादरवा सुद ५ रविवार दिनांक ११-६ - ८३ को तपस्वियों का पारणा एवं श्रीसंघ का स्वामी वात्सल्य सुश्री गजीबाई के मासक्षमण निमित्ते शा० पूनमचन्द, जसराज, घीसूलाल, त्रिलोक चन्दजी परकाजी की तरफ से हुआ ।
॥ चतुविध संघ में हुई नोंध पात्र तपश्चर्या ।।
चातुर्मास प्रारम्भ से आज तक हुई नोंध पात्र विशेष तपश्चर्या नीचे मुजब है
* चातुर्मास दरम्यान श्रृंखलाबद्ध संलग्न विशिष्ट प्रभावनायुक्त महामंगलकारी श्री अट्ठम तप की आराधना चालू रही ।
(95 )