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१०१ भाई-बहिनों ने बेला किया।
(५) श्रावण सुद १५ मंगलवार दिनांक २३-८-८३ को 'श्रोसिवत महापूजन' श्रीमती चुनोबाई खसाजो को ओर से विधिपूर्वक प्रभावनायुक्त पढ़ाया गया।
(६) भादरवा (श्रावण) वद १ बुधवार दिनांक २४-८-८३ को पू० साध्वी श्रोदिव्यप्रज्ञाश्रीजी म० को श्री वर्द्धमान तप की ४५ वी अोली की तथा पू० साध्वी श्रीशीलगुणाश्रीजी म० को ४८ वीं अोली की पूर्णाहुति के पश्चात् पारणा के उपलक्ष में पगलां करने के लिये परम पूज्य आचार्य भगवन्त चतुर्विध संघ सहित वाजते-गाजते शा० जसराज कपूरचन्दजी के घर पर पधारे। वहां पर ज्ञानपूजन और मंगलप्रवचन के बाद प्रभावना हुई। उसी दिन श्रीगौतमस्वामी के छ? (बेला) करने वाले के पारणे क्षीर से एकासणां युक्त हुए।
(७) श्रीपर्युषणा महापर्व की आराधना भादरवा (श्रावण) वद ११ शनिवार दिनांक ३-६-८३ को श्रीपर्युषणा महापर्व की आराधना का प्रारम्भ हुआ। तीन दिन अट्ठाई व्याख्यान का, बाद में पाँच दिन श्रीकल्पसूत्र व्याख्यान का लाभ श्रीसंघ को प० पू० प्राचार्य म० सा० तथा पूज्य मुनिराज श्री जिनोत्तम विजयजी म. सा० द्वारा सुन्दर मिला। उसमें चौंसठ पहोरी पौषधधारी एकासणां करने वाले तपस्वियों के एकासणे बारस के दिन शा० सतराजी सरूपचन्दजी की ओर से हए। तेरस के दिन एकासणे शा० भगवानमलजी अगवरी वाले की तरफ से हुए।
अमावस के दिन एकासणे शा० सतराजी सरूपजी की तरफ से हए। श्रीकल्पसूत्र को शा० नरसाजी रामाजी अपने घर पर
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