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करने वाले १०८ उपरान्त भाई-बहिनों की संख्या थी। इन सभी के पारणे श्रावण सुद ७ सोमवार दिनांक १५-८-८३ को श्रीसंघ की ओर से हुए।
अष्टाह्निका महोत्सव का प्रारम्भ श्रावण सुद ८ मंगलवार दिनांक १६-८-८३ को परम पूज्य आचार्यदेव श्रीमद् विजय सुशील सूरीश्वरजी म. सा० को चलती हुई श्रीवर्द्ध मान तप की ४७ मी अोली की पूर्णाहुति निमित्त श्रीसंघ की तरफ से श्रीउवसग्गहरं पूजन तथा श्रीसिद्धचक्र महापूजन युक्त अष्टाह्निका महोत्सव का प्रारम्भ हुआ।
(१) उसी दिन 'श्रीउवसग्गहरं पूजन' शा० धनरूपचन्द कृत्स्नाजी बलदरा वाले की ओर से प्रभावनायुक्त विधिपूर्वक पढ़ाया गया । प्रतिदिन पूज्य श्रीभगवतीसूत्र तथा श्रीविक्रमचरित्र के प्रवचन के साथ प्रभावनायुक्त पूजा का भी कार्यक्रम चालू रहा ।
. (२) श्रावण सुद ६ बुधवार दिनांक १७-८-८३ को अोली के पारणा निमित्ते पूज्यपाद प्राचार्य म० सा० चतुर्विध संघ युक्त वाजते-गाजते शा० बाबूलाल रकबीचन्दजी बलदरा वाले के घर पर पधारकर पगलां किये। वहां ज्ञानपूजन तथा मंगल प्रवचन के पश्चाद् प्रभावना हुई।
(३) श्रावण सुद १० गुरुवार दिनांक १८-८-८३ को दीपक प्रगटाकर मात्र पाँच मिनिट का केवल शीरे के एकासणे का कार्यक्रम रहा । उसमें १५१ उपरान्त भाई-बहिनों के एकासणां हुए।
(४) श्रावण सुद १४ सोमवार दिनांक २२-८-८३ को श्रीगौतमस्वामी भगवन्त के छ? (बेला) का प्रारम्भ हुआ। उसमें
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