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श्रीनवपदजी और उनके वर्गा श्रीसिद्धचक्र के नव पद हैं । प्रत्येक पद का वर्ण निम्नलिखित अनुसार हैपद
वर्ण (१) श्रीअरिहन्तपद
श्वेतवर्ण (२) श्रीसिद्धपद
रक्तवर्ण (३) श्रीप्राचार्यपद
पीतवर्ण (४) श्रीउपाध्यायपद
नीलवर्ण (५) श्रीसाधुपद
श्यामवर्ण (६) श्रीसम्यग्दर्शनपद
श्वेतवर्ण (७) श्रीसम्यग्ज्ञानपद
श्वेतवर्ण (८) श्रीसम्यक्चारित्रपद
श्वेतवर्ण (६) श्रीसम्यक्तपपद
श्वेतवर्ण इस तरह श्रीसिद्धचक्र के नव पदों के नाम और उनके वर्ण कहे हैं।
ध्याता-साधक की अपेक्षा से नवपद के वर्णों की कल्पना की गई है । वास्तव में तो ये नवपद वर्ण, गन्ध और स्पर्श से रहित हैं। पूर्वाचार्यों-ज्ञानी महापुरुषों ने यह कल्पना भी हेतुपूर्वक की है। इसलिये यह कल्पना ग्राह्य एवं व्यापक बनी है।
श्रीसिद्धचक्र-नवपदस्वरूपदर्शन-३१८