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वर्तमान युग में प्राधुनिक अमेरिकन मानस-शास्त्रियों ने भी मानसविद्य किरण यन्त्र द्वारा मन के विचारों, प्राकारों एवं वर्गों का अनुसन्धान किया है। जो नवपद के वर्षों से साम्यता रखता है । _____ ध्यान की प्रक्रिया में प्रारम्भ में ध्यान करने वाले व्यक्ति को अपनी आँखों को बन्द कर अन्तर्मुख होते हुए, अपने हृदय में अष्टदल कमल का चिन्तवन करते हुए प्रथम श्यामवर्ण भासता है । पश्चात् धीरे-धीरे क्रमशः नीलवर्ण, पीछे पीतवर्ण, बाद में श्वेतवर्ण भासता है । अन्त में तेज के गोले की माफिक रक्तवर्ण ध्यानगोचर होता है। ध्यान के दीर्घ अभ्यास द्वारा एकदम रिक्तवर्ण मनोग्राह्य हो सकता है।
पंचपरमेष्ठी पैकी पंचम पद साधु-मुनि का है। साधुपद से अरिहन्तपद पर्यन्त का ध्यान क्रमशः श्याम-कृष्णवर्ण से श्वेत-शुक्ल वर्ण की कल्पना द्वारा होता है। इस तरह साधक मनुष्य पंचम साधुपद से प्रारम्भ करके सिद्धपद के ध्यान तक पहुँच सकता है । इसलिये पूर्वाचार्य भगवन्तों ने श्रीअरिहन्तादि पंचपरमेष्ठियों तथा सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान, सम्यक्चारित्र एवं सम्यक्तप इनका अनुभव करने वाले अनुपम विशिष्ट व्यक्तियों के ध्यान के लिये क्रमशः भिन्नभिन्न वर्गों की कल्पना की है। इस तरह ध्यान की मनोवृत्ति का वर्णों के साथ समन्वय है ।
श्रीसिद्धचक्र-नवपदस्वरूपदर्शन-३१६