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________________ कोठवडी, कोठीपत्र, ग्रामळागंठी, आंबागोळी, शेलडी, fiबुइ पत्र, सेके हुए धान्य सुंदर आदि तथा दांत माँजने के लिये दन्तमंजन, पाउडर आदि । इन सभी वस्तुओं का समावेश खादिम में होता है । इन सब का त्याग करने का होता है । (४) स्वादिम - जिसे स्वादरूप में ग्रहरण किया जाता है वह पदार्थ स्वादिम कहा जाता है । जैसे --तज, लवंग, एलची, सूवा, सोपारी, वरीमाळी, अजमा, जीरा, जावंत्री, जायफल, अजमोद, हींग, मरी, सूंठ, पीपर, हरडां, हरडे, बेडां, बावची, तुलसी, कचूरा, संचळ, केसर, नागकेसर, काथा, मोथ, तमालपत्र, जेठीमध, पीपरीमुळ, खेरवटी, बीडलवरण, चीणिक बाबा, कांटासेलीश्रो, पुष्करमूळ, बावळ की छाल खीजडा की छाल और उसके पत्र, खेर की छाल, धावडी की छाल, जवासा का मूळ तथा नागरवेल का पान आदि । इन सभी वस्तुनों का समावेश स्वादिम वर्ग में होता है । इनका त्याग करने का है । जिसमें प्रशन, पान, खादिम एवं स्वादिम इन चारों प्रकार के आहार का त्याग होता है वह चोविहार अनशन गिना जाता है तथा पानक प्रहार बिना अर्थात् जलपानी बिना तीन प्रकार के ( अशन, खादिम एवं स्वादिम रूप) आहार का त्याग होता है वह तिविहार अनशन गिना श्री सिद्धचक्र - नवपदस्वरूपदर्शन- २६३
SR No.002288
Book TitleSiddhachakra Navpad Swarup Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandir
Publication Year1985
Total Pages510
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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