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________________ ( १ ) जिसमें से तेल नहीं निकलता है, ऐसे मूंग, चरणा, चोळा, वाल, वटारणा, उड़द, तुवेर, कळथी और सरसव आदि तथा जिसमें से तेल निकलता है, ऐसे तिल, अलसी, सिलींद, कांग, कोदरा, अणुका तथा धारणा इत्यादि । ये सभी कठोर अशन हैं । (२) सर्व जाति के अक्षत (चावल) तथा गेहूं-बाजरीज्वार आदि सर्व जाति के धान्य अशन हैं । (३) साथवा कि जो, ज्वार, मग इत्यादि सेक कर बनाया हुआ लोट वह भी प्रशन है । (४) रोटा, रोटी, पूड़ा, पूरी, पोळी, मांडा आदि भी अशन है । (५) दूध, दही, घी, तेल, गुड़ और कड़ा विगई ये छह विगइयाँ तथा मदिरा, मांस, माखण, मद्य ये चार महा विगइयाँ भी प्रशन हैं । ( ६ ) समस्त प्रकार के पकवान प्रमुख भी प्रशन हैं । राब तथा सर्व जाति की घेंस इत्यादि भी (७) प्रशन है । ( ८ ) सभी वनस्पति के कन्दमूल, फलादि के रंधाये हुए शाक इत्यादि भी प्रशन हैं । श्री सिद्धचक्र - नवपदस्वरूपदर्शन - २६१
SR No.002288
Book TitleSiddhachakra Navpad Swarup Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandir
Publication Year1985
Total Pages510
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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