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(३) ज्ञानपंचमी तप की सम्यग् आराधना करने वाले वरदत्त और गुरगमंजरी के भी ज्वलंत उदाहरण हैं।
विश्व के सभी प्राणी ज्ञानपद की सम्यग् आराधना करके अपनी आत्मा में सत्य और सम्पूर्ण ज्ञानमय रत्नदीपक की ज्योति प्रगटाकर मुक्त बनें, यही शुभ कामना है।
श्रीसिद्धचक्र-नवपदस्वरूपदर्शन-२१२