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मतिज्ञान, श्रुतज्ञान और अवधिज्ञान चारों गतियों के जीवों को होता है।
प्रश्न-अवधिज्ञानी प्रात्मा कितना जान सकता है और देख सकता है ?
उत्तर-इसके विषय में द्रव्य से, क्षेत्र से, काल से और भाव से कहा है कि प्रात्मा---
(१) द्रव्य से-जघन्यपने अनंत रूपी द्रव्यों को देखजान सकता है और उत्कृष्टपने सर्व रूपी द्रव्यों को जानदेख सकता है।
(२) क्षेत्र से-जघन्यपने अंगुल के असंख्यातवें भाग को जाने-देखे तथा उत्कृष्टपने अलोक में लोक जैसे असंख्याते खंडुक को जाने-देखे ।
(३) काल से-जघन्यपने प्रावलिका के असंख्यातवें भाग को जाने-देखे तथा उत्कृष्टपने असंख्याती उत्सर्पिणीअवसर्पिणी लगे अतीत-अनागत काल को जाने-देखे ।
(४) भाव से-जघन्यपने अनंताभाव को जाने-देखे तथा उत्कृष्टपने भी अनंताभाव को जाने-देखे । सर्व भाव के अनंतवें भाग को जाने-देखे ।
विशेष---अवधिज्ञान के विषय में ज्ञान की वृद्धि, क्षेत्र
श्रीसिद्धचक्र-नवपदस्वरूपदर्शन-१८४