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और काल के अनुसार होती है । ___* अवधिज्ञानी जीव जब क्षेत्र से अंगुल के असंख्यातवें भाग को देखता है तब काल से प्रावलिका के असंख्यातवें भाग पर्यंत देखता है।
____* अवधिज्ञानी जीव जब क्षेत्र से अंगुल का संख्यातवाँ भाग देखता है, तब काल से भी प्रावलिका का संख्यातवाँ भाग देखता है।
* अवधिज्ञानी जीव जब क्षेत्र से पूर्ण अंगुल देखता है, तब काल से कुछ न्यून पावलिका देखता है ।
__ * अवधिज्ञानी जीव जब क्षेत्र से अंगुल पृथक्त्व देखता है, तब काल से पूर्ण प्रालिका देखता है ।
___ * अवधिज्ञानी जीव जब क्षेत्र से एक हस्त प्रमाण को देखता है, तब काल से अन्तर्मुहूर्त देखता है ।
* अवधिज्ञानी जीव जब क्षेत्र से एक कोस देखता है, तब काल से दिन में कुछ न्यून देखता है।
* अवधिज्ञानी जीव जब क्षेत्र से एक योजन देखता है, तब काल से नौ दिन तक की द्रव्यों की विशाल पर्यायों को देखता है।
श्रीसिद्धचक्र-नवपदस्वरूपदर्शन-१८५