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संरक्षण करता है, उसी तरह यह सम्यग्दर्शन गुरण रूपी गढ़किला आत्ममन्दिर का चारों तरफ से संरक्षण करता है | जैसे गढ़ किला ईंट चूने का बना शुभ्र श्वेत होता है, वैसे ही यह सम्यग्दर्शन पद गुण भी शुभ्र श्वेत वर्ण का है ।
(४) सद्गुणों से आत्मा शान्त होती है । आत्मशान्ति के लिये ध्यान शुक्ल - श्वेत विहित है । श्रीसम्यग्दर्शन पद का ध्यान शुक्ल - श्वेत वर्ण से करते हैं, इसलिये उसका वर्ण शुक्ल श्वेत कहा है ।
इस प्रकार अनेक उपमानों से श्रीसम्यग्दर्शन पद गुण का सफेद - उज्ज्वल वर्ण ही श्रीप्रनन्तज्ञानी महापुरुषों ने प्रतिपादित किया है ।
श्री सम्यग्दर्शन पद की प्राप्ति से क्या लाभ मिलता है ?
संसारचक्र में परिभ्रमरण करते हुए ग्रात्मा को श्री सम्यग्दर्शन पद की प्राप्ति से निम्नलिखित अनेक लाभों की प्राप्ति होती है-
( १ ) श्री सम्यग्दर्शन - सम्यक्त्व गुण की प्राप्ति के पश्चात् आत्मा को सही रूप में सुदेव, सुगुरु और सुधर्म की स्पष्ट पहिचान प्रोळखाण होती है ।
श्री सिद्धचक्र-नवपदस्वरूपदर्शन- १५३