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________________ धम्मो मंगलं ।" चार पदार्थ मंगलरूप हैं-(१) अर्हन्तअरिहन्त मंगलरूप हैं, सिद्ध मंगलरूप हैं, साधु मंगलरूप हैं, तथा सर्वज्ञ-केवलिप्ररूपित श्रु त-चारित्रात्मक धर्म मंगल रूप है। अर्थात्--संसार में अरिहंत, सिद्ध, साधु और सर्वज्ञभाषित धर्म महामंगलकारी हैं । लोकोत्तम साधुमहाराज शास्त्र में जैसे वे चार पदार्थ मंगलरूप प्रतिपादित किये गये हैं वैसे ही लोकोत्तम भी प्रतिपादित किये गये हैं। _ "चत्तारि लोगुत्तमा-अरिहंता लोगुत्तमा, सिद्धा लोगुत्तमा, साहू लोगुत्तमा, केवलिपन्नत्तो धम्मो लोगुत्तमो।" चार पदार्थ लोक में उत्तम हैं--(१) सर्व अर्हन्त-अरिहन्त लोकोत्तम हैं, (२) सर्व सिद्ध लोकोत्तम हैं, (३) सर्व साधु लोकोत्तम हैं, तथा (४) सर्वज्ञ प्ररूपित धर्म लोकोत्तम है। अर्थात्--विश्व में अरिहंत परमात्मा, सिद्ध भगवन्त, साधु और सर्वज्ञ-केवलिभाषित धर्म लोकोत्तम हैं। शररा ग्रहरा योग्य साधुमहाराज ___ शास्त्र में जैसे वे चार पदार्थ मंगलरूप तथा लोकोत्तम हैं वैसे ही शरण-ग्रहण योग्य भी ये चार ही प्रतिपादित किये गये हैं। श्रीसिद्धचक्र-नवपदस्वरूपदर्शन-१३४
SR No.002288
Book TitleSiddhachakra Navpad Swarup Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandir
Publication Year1985
Total Pages510
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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