________________
पूर्ण भव्य काया वाले, स्व-पर जीवन के सफल निर्माता स्व-पर सिद्धान्त पारगामी, समयज्ञ प्राचारवान द्रव्य-क्षेत्रकाल-भाव के ज्ञाता, शासन की अनुपम प्रभावना करने वाले, शासन के आधारस्तम्भ एवं परम माननीय, सौम्य प्रकृति वाले प्राचार्य महाराज को 'गच्छाचार पयन्ना' में तीर्थंकर के समान कहा गया है ।
- "तित्थयर समो सूरि, सम्मं जो जिरणमयं पयासेइ"
"जो प्राचार्य सम्यग् प्रकार से जिनेश्वरदेव के धर्म की प्ररूपणा करता है वह तीर्थंकर के समान है।"
'श्रीमहानिशीथ सूत्र' के पांचवें अध्ययन में भी कहा है कि- “से भयवं ? किं तित्थयरं संतियं पारणं नाइक्कमिज्जा उदाहु आयरिय संतियं ?
गोयमा ? चउविहा पायरिया भवन्ति । तं जहानामायरिया, ठवरणायरिया, दवायरिया, भावायरिया, तत्थ रणं जे ते भावायरिया ते तित्थयरसमा चेव ददुव्वा, तेसि संतियं पारणं नाइक्कमेज्ज ति ।"
'हे भगवन् ! तीर्थंकर सम्बन्धी आज्ञा का उल्लंघन नहीं करना चाहिए कि प्राचार्य सम्बन्धी आज्ञा का ?
'हे गौतम ! नामाचार्य, स्थापनाचार्य, द्रव्याचार्य और
श्रीसिद्धचक्र-नवपदस्वरूपदर्शन-८४