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________________ करते हैं । इस तरह अपने गच्छ-समुदाय का सुन्दर संरक्षण करते हैं। आगमशास्त्र में कहे हुए उत्सर्ग और अपवाद के रहस्य को पूर्णतया ध्यान में रखते हैं। अपवाद के प्रसंग में उत्सर्ग और उत्सर्ग के प्रसंग में अपवाद का उपदेश नहीं करते हैं । अपवाद के प्रसंग में अपवाद का और उत्सर्ग के प्रसंग में उत्सर्ग का आदेश करते हैं । प्राचार्य महाराज स्वयं प्रात्म-साधना में संलग्न रहते हैं और दूसरों को उपदेश देकर प्रात्म-साधना में संलग्न करते हैं। स्वयं तीर्थ का रक्षण करते हैं और दूसरों को भी तीर्थ-रक्षण कार्य में प्रेरित करते हैं। वे श्रीसंघ की उन्नति के मार्ग प्रदर्शित करते हैं तथा प्रात्म-साधना से विचलित साधकों को साधना की विशिष्टता और उपादेयता समझा कर पुनः संयमादि धर्ममार्ग में प्रवृत्त करते हैं । - सूर्य के समान जिनेश्वरदेव और चन्द्र के समान केवली भगवन्त के अभाव में प्राचार्य ही अज्ञानरूपी अँधेरे में भटको हुई जनता को ज्ञान के प्रकाश में लाने के लिए दीपक का कार्य करते हैं; मोक्ष का मार्ग बताते हैं और जिनप्रवचन का दान कर मानवादि सभी के जीवन को आनन्दमय बना देते हैं। __ ऐसे आर्यदेश, आर्यकुल और उत्तम जाति में जन्म पाए हुए तथा कुलीनता रूप-सौन्दर्य और पंच इन्द्रियों से परि श्रीसिद्धचक्र-नवपदस्वरूपदर्शन-८३
SR No.002288
Book TitleSiddhachakra Navpad Swarup Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandir
Publication Year1985
Total Pages510
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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