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पूर्वक उनकी भक्ति करना, इत्यादि से इस पद की पाराधना होती है।
श्रीसिद्धपद की आराधना का ध्येय लालवर्ण से श्रीसिद्धपद की आराधना करने वाली आत्मा का अन्तिम ध्येय सिद्ध बन करके सिद्धि का शाश्वत सुख प्राप्त करना होना चाहिए । यही ध्येय रखने वाला व्यक्ति विश्व में अच्छे-अच्छे कार्यों में सिद्धि प्राप्त करते हुए एक समय सम्पूर्ण सिद्धि के शाश्वत सुख को अवश्य प्राप्त करेगा।
श्रीसिद्धपद की आराधना के दृष्टान्त
इस सिद्धपद की आराधना से ही श्रीपुण्डरीक स्वामीजी, पाण्डवों और रामचन्द्र जी ने मोक्ष-सिद्धि के शाश्वत सुख को प्राप्त किया है।
श्रीसिद्धभगवन्तों का शरण
शास्त्र में चार शरण प्रतिपादित किए गए हैं। उनमें श्रीसिद्धभगवन्त भी एक शरण हैं ।
___ मुझे सिद्धपरमात्माओं का शरण हो ! इसके लिए कहा है कि
श्रीसिद्धचक्र-नवपदस्वरूपदर्शन-७४