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अब क्रमश: उदाहरण युक्त नाम कहते हैं-- जिणसिद्धा अरिहन्ता,
अजिणसिद्धा य पुंडरिपा पमुहा । गरणहारि तित्थ सिद्धा,
अतित्थ सिद्धा य मरुदेवा ।। ५६ ॥ गिहिलिंग सिद्ध भरहो,
वक्कलचीरी य अन्नलिंगम्मि । साहु सलिंग सिद्धा,
थी सिद्धा चंदरणा पमुहा ॥ ५७ ॥ पुंसिद्धा गोयमाइ,
गांगेयाइ नपुंसया सिद्धा । पत्तेय सयंबुद्धा,
भरिणया करकंडु कविलाइ ॥ ५८ ॥ तह बुद्धबोहि गुरुबोहिया य,
इगसमये इग सिद्धा य । इग समयेऽवि प्रणेगा,
सिद्धा तेणेम-सिद्धा य ॥ ५६ ॥
अर्थ
(१) जिनसिद्ध-- वह अरिहन्त आदि है । (२) अजिनसिद्ध-- वह पुंडरीक स्वामी आदि है। (३) तीर्थसिद्ध- वे सामान्य केवली ऐसे गणधर हैं।
श्रीसिद्धचक्र-नवपदस्वरूपदर्शन-६८