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________________ 73.करलक्खण ___ यह सामुद्रिक शास्त्र का अज्ञातकर्तृक ग्रन्थ है। इसमें 61 गाथाओं में हस्त रेखाओं का महत्व, पुरुषों के लक्षण, पुरुषों का दाहिना और स्त्रियों का बाँया हाथ देखकर भविष्यकथन आदि विषयों का वर्णन किया गया है। विद्या, कुल, धन, रूप और आयुसूचक पाँच रेखायें होती हैं। हस्तरेखाओं से भाई-बहन, और सन्तानों की संख्या का भी पता चलता है। कुछ रेखाएँ धर्म और व्रत की सूचक मानी जाती है। यह ग्रन्थ प्रफुल्लकुमार मोदी द्वारा संपादित और भारतीय ज्ञानपीठ, काशी द्वारा सन् 1954 में प्रकाशित है। 74.कल्पसूत्र दशाश्रुतस्कंध जिसे दसा, आयारदसा अथवा दसासुय भी कहा जाता है, चौथा छेदसूत्र है। कुछ लोग दसा के साथ कप्प को जोड़कर ववहार को अलग मानते हैं। और कुछ दसा को अलग करके कल्प व्यवहार को एक स्वीकर करते हैं। इससे इस सूत्र की उपयोगिता स्पष्ट है। इसके आठवें अध्ययन को कल्पसूत्र कहा गया है। दशाश्रुतस्कंध के कर्ता भद्रबाहु माने जाते हैं । इस पर नियुक्ति है। नियुक्ति के कर्ता भद्रबाहु छेदसूत्रों के कर्ता भद्रबाहु से भिन्न है। आठवें अध्ययन को पर्युषण पर्व में पढ़े जाने के कारण इसे पंज्जोसणाकल्प अथवा कल्पसूत्र कहा जाता है । इसके प्रथम भाग जिनचरित में श्रमण भगवान् महावीर का च्यवन, जन्म संहरण, दीक्षा, केवलज्ञान और मोक्ष का विस्तृत वर्णन है। कहीं काव्यमय भाषा का प्रयोग भी हुआ है। जिनप्रभ, धर्मसागर, विनयविजय, समयसुन्दर, रत्नाकर, संघविजय, लक्ष्मीवल्लभ आदि अनेक आचार्यों ने इस पर टीकायें लिखी हैं। वर्षा ऋतु में जैनश्रमणों के एक स्थान पर स्थिर वास करने को पर्युषण कहते हैं। इसे पर्युषण के दिनों में साधु लोग अपने व्याख्यानों में पढ़ते हैं। इसमें महावीरचरित के पश्चात् पार्श्व, नेमी, ऋषभदेव तथा अन्य तीर्थंकरों के चरित लिखे गये हैं। कल्पसूत्र के दूसरे भाग स्थविरावली में स्थविरों के गुण, शाखा और कुलों का उल्लेख है, जिनमें से अनेक मथुरा के ईसवी सन् की पहली शताब्दी के शिलालेखों में उत्कीर्ण हैं । यह स्थविरावली नन्दीसूत्र की स्थविरावलि से कुछ भिन्न है। तीसरे भाग समाचारों में साधुओं के नियमों का विवेचन है। प्राकृत रत्नाकर 053
SR No.002287
Book TitlePrakrit Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherRashtriya Prakrit Adhyayan evam Sanshodhan Samsthan
Publication Year2012
Total Pages430
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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