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________________ 405. शौरसेनी प्राकृत भाषा और व्याकरण प्रो. प्रेम सुमन जैन द्वारा लिखित यह पुस्तक - ' शौरसेनी प्राकृत भाषा और व्याकरण' 2001 ई. में भारतीय विद्या प्रकाशन दिल्ली से प्रकाशित है। इस पुस्तक में भारोपीय परिवार की भाषाओं के साथ शौरसेनी प्राकृत के सम्बन्ध, अन्य प्राकृतों के साथ इसकी तुलना, शौरसेनी प्राकृत का आधारभूत साहित्य, शौरसेनी प्राकृत का व्याकरणात्मक स्वरूप एवं रचनानुवाद आदि बिन्दुओं पर सप्रमाण एवं सोदाहरण विवचेन प्रस्तुत किया गया है। आचार्य विद्यानन्द जी ने इस पुस्तक के आमुख में कहा है कि इस पुस्तक में शोध, सिद्धान्त - ज्ञान और रचना अभ्यास का अनूठा संगम है। श्रमणों और श्रमणाओं को शौरसेनी प्राकृत भाषा सीखना चाहिए। दिगम्बर जैन आगम ग्रन्थों की मूलभाषा शौरसेनी प्राकृत है । 406. शौरसेनी प्राकृत और उसका साहित्य प्रो. डॉ. राजाराम जैन द्वारा लिखित यह पुस्तक शौरसेनी प्राकृत और उसका इतिहास साहित्य श्री कुन्दकुन्द भातरी ट्रस्ट, नई दिल्ली से 1990 ई. में प्रकाशित है। इस पुस्तक में डॉ. जैन ने शौरसेनी प्राकृत भाषा के उद्भव एवं विकास पर महत्त्वपूर्ण जानकारी प्रस्तुत की है। शौरसेनी प्राकृत साहित्य के अवदान को भी संक्षेप में रेखांकित किया गया है। श्रीलालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत' विद्यापीठ, नई दिल्ली में आचार्य कुन्दकुन्द स्मृति व्याख्यानमाला के अन्तर्गत प्रदत्त दो व्याख्यानों को पुस्तकरूप में यहाँ प्रस्तुत किया गया है। 407. शौरसेनी और अन्य प्राकृतें प्राकृत भाषा जनभाषा थी। अतः उसमें कुछ समय के उपरान्त जन बोलियों की विविधता के कारण नये-नये परिवर्तन आते रहे हैं । किन्तु फिर भी कुछ विशेषताएँ समान बनी रही हैं। इस दृष्टि से अध्ययन करने पर ज्ञात होता है कि महावीर के समय से सम्राट कनिष्क के समय तक जिस प्राकृत भाषा का प्रयोग हुआ वह प्रायः एक-सी थी । उसमें प्राचीन प्रयोग की बहुलता थी । अतः ई.पू. छठी शताब्दी से ईसा की द्वितीय शताब्दी तक प्राकृत में रचे गये साहित्य की भाषा को आदि युग अथवा प्रथम युग की प्राकृत कहा जा सकता है। इस प्राकृत के प्रमुख पाँच रूप प्राप्त होते हैं 348 प्राकृत रत्नाकर
SR No.002287
Book TitlePrakrit Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherRashtriya Prakrit Adhyayan evam Sanshodhan Samsthan
Publication Year2012
Total Pages430
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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