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________________ वैदिक भाषा के तत्व भी सम्मिलित हैं । गच्छंसु आदि क्रियाओं में इंसु प्रत्यय एवं ग्रहण के अर्थ में घेप्पई क्रियाओं का प्रचलन आदि आगमों में वैदिक भाषा का प्रभाव है। मागधी एवं शौरसेनी प्राकृत के भी कुछ छुट-पुट प्रयोग इसमें प्राप्त हैं। सम्भवतः अर्धमागधी भाषा के गठन के प्रवृत्ति के कारण यह हुआ है। आगमों की भाषा को समझने के लिए कुछ भाषात्मक सूत्र आगमों में ही प्राप्त हैं। उन्हें समझने की आवश्यकता है। आगमिक कथाओं की भाषा के स्वरूप एवं उसके स्तर को तय करने के लिए व्याख्या साहित्य में की गई व्युत्पतियों को भी देखना आवश्यक है । प्रकाशित संस्करणों के साथ ही ग्रन्थों की प्राचीन प्रतियों पर अंकित टिप्पण आगमों की भाषा को स्पष्ट करते हैं। पाठ-भेदों का तुलनात्मक अध्ययन भी इसमें मदद करेगा। इन कथाओं में कई नायकों को बहुभाषाविद् कहा गया है । ज्ञाताधर्मकथा में मेघकुमार की कथा में अठारह विविध प्रकार की देशी भाषाओं का विशारद उसे कहा गया है। किन्तु इन भाषाओं के नाम आगम ग्रन्थों में नहीं मिलते। कुवलयमाला में इन भाषाओं के नामों के साथ-साथ उनके उदाहरण भी दिये गये हैं । इन कथाओं में विभिन्न प्रसंगों में कई देशी शब्दों को प्रयोग हुआ है। आगम शब्द कोश में ऐसे शब्दों का संकलन कर स्वतन्त्र रूप से विचार किया जाना चाहिए। णिंदू, उल्लपडसाडया, वरइ, जासुमणा, रत्तबंधुजीवग, सरस, महेलियावज्जं, थंडिल्लं, अवओडय-बंधगयं, डिंभय, इंदट्ठाण, आदि शब्द अन्तकृद्दशा की कथाओं में आये हैं। इसी तरह अन्य कथाओं में भी खोजे जा सकते हैं। कुछ शब्द व्याकरण की दृष्टि से नियमित नहीं हैं तथा उनमें कारकों की व्याख्या नहीं है। इन सब दृष्टियों इन कथाओं के भाषात्मक अध्ययन में प्रवृत्त होने की जरूरत है। पालि, संस्कृत के शब्दों का इन कथाओं में प्रयोग भी उपयोगी सामग्री प्रस्तुत करेगा। 29. आगम कथाओं में काव्यतत्व आगम ग्रन्थों की कथाओं में गद्य एवं पद्य दोनों का प्रयोग हुआ है। कथाकारों के अधिकांश वर्णन यद्यपि वर्णक के रूप में स्थिर हो गये थे । नगर-वर्णन, सौंदर्यवर्णन आदि विभिन्न कथाओं में एक से प्राप्त होते हैं। स्मरण की सुविधा के कारण प्राकृत रत्नाकर 0 21
SR No.002287
Book TitlePrakrit Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherRashtriya Prakrit Adhyayan evam Sanshodhan Samsthan
Publication Year2012
Total Pages430
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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