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________________ एवं अनुसंधान का एक स्वतन्त्र विषय है। इस पर निष्ठा और परिश्रमपूर्वक किया गया कार्य निश्चय ही भारतीय लोक संस्कृति पर महत्त्वपूर्ण प्रकाश डालेगा। 307. प्राकृत व्याकरणम्(दो भाग) ___ उपाध्याय पण्डितरत्न मुनिवर श्री प्यारचन्द जी महाराज ने आचार्य हेमचन्द्रकृत, हेमशब्दानुशासन को हिन्दी व्याख्या के साथ प्राकृत व्याकरण नाम से दो भागों में सन् 1966-67 में श्री जैन दिवाकर दिव्य ज्योति कार्यालय, ब्यावर (राज.) से प्रकाशित कराया था। इस व्याकरण ग्रन्थ में हेमचन्द्र के मूल सूत्र, उसकी संस्कृतवृत्ति, उसका हिन्दी अर्थ, शब्द की व्युत्पत्ति और उसमें लगने वाले अन्य सूत्रों की जानकारी दी गई है। प्राकृत व्याकरण सीखने के लिए यह ग्रन्थ लम्बे समय से विद्वानों में समादृत होता रहा है। अब इस ग्रन्थ का दूसरा संस्करण आगम प्राकृत संस्थान, उदयपुर से प्रकाशित हुआ है। डॉ. कमलचन्द सोगानी ने इस व्याकरण का संक्षिप्त रूप हिन्दी और अंग्रेजी में प्रकाशित किया है। इसमें संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया, कृदन्त आदि का विस्तार से विवेचन है। 308. प्राकृत-हिन्दी-कोश __पाइय-सद्-महण्णवो के विषयों को संक्षिप्त कर डॉ. के. आर. चन्द्रा ने ई. सन् 1987 में प्राकृत हिन्दी-कोश का सम्पादन किया है। अकारादि क्रम में शब्दों की संयोजना करने वाले इस ग्रन्थ में प्राकृत शब्दों के लिंग, संस्कृत रूप एवं हिन्दी अर्थ दिये गये हैं। लघुकाय होने के कारण यह कोश-ग्रन्थ प्राकृत के प्रारम्भिक विद्यार्थियों के लिए अत्यंत उपयोगी है। इसके अतिरिक्त आधुनिक कोश-ग्रन्थों में श्री जैनेन्द्र वर्णी द्वारा रचित जैनेन्द्र सिद्धान्तकोश प्रमुख है, जिसमें जैनदर्शन के पारिभाषिक शब्दों में प्राकृत के अनेक शब्दों के अर्थ उद्धरण सहित मिल जाते हैं। समणी कुसुम प्रज्ञा द्वारा सम्पादित एकार्थक कोश, युवाचार्य महाप्रज्ञजी द्वारा सम्पादित देशी शब्द कोश एवं निरुक्त कोश तथा डॉ. उदयचन्द्र जैन द्वारा सम्पादित कुन्दकुन्द कोश आदि प्राकृत के महत्त्वपूर्ण शब्द कोश हैं, जिनके अध्ययन से प्राकृत भाषा का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। वर्तमान समय में प्रो. ए. एम. घाटगे ने भण्डारकर प्राकृत रत्नाकर 0269
SR No.002287
Book TitlePrakrit Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherRashtriya Prakrit Adhyayan evam Sanshodhan Samsthan
Publication Year2012
Total Pages430
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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