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सण्डो
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नियम 4 : आदि के सरल व्यंजन इन अक्षरों में परिवर्तित होते हैं । यथा
क > क
खीलय कीलित
> > ग
अधिग अधिक
डंडो <
द
> ड
न > ण
षण्डः,
खुज्जो <
कुब्ज:
गेन्दुअं< कन्दुकम्
डोला <
णमो
> फ
फलिहा <
परिखा,
म > व
वम्महो< मन्मथः,
य, र> ल
लट्टी
यष्टिः,
2- मध्य सरलव्यंजन विकास :
क
> ग
तल
ह
सेसो < शेषः
थ>
थ ह
दर
दोला,
नमो
232 0 प्राकृत रत्नाकर
एगो < एकः
सावगो<
उवासगो
णिद्देसो
फरुसो
लुक्ख ९ रुक्ष
अमुगो कीलित एतं अधिक
उपासकः लोगो < दण्डः
< श्रावकः
खक/ह संकलं < श्रृंखलम्
सुहं सुखम् कोडिगं < कोटिनाम्
ट > ड
भडो
< भटः
त > ड
पडिवन्नं < प्रतिपन्नम्, पडिमा प्रतिमा
पाहुडं प्राभृतम् दुक्डम < दुष्कृतम्
नियम 6 : शौरसेनी प्राकृत में त का द में परिवर्तन होता है । यथा
तद
धादि < घाति,
जतिण < यतीनाम्
देवदा < देवता,
जाणादि < जाणाति
अलसी अतसी
<
काहलो < कातरः वसही < वसतिः पढमो < प्रथमः पुढवी पृथवी णाहो < नाथः मिहुणं मिथुनम्
एआरह < एकादश: बारह
द्वादश
दण्डः
निर्देश
परुषः
सालवाहणा< सातवाहनः