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राजस्थानी
घडै
जांचै
खांडे
धारइ
धारै
धारता है
किदो
कीधौ
किया
होसइ
होसी
होगा
इसी प्रकार राजस्थानी भाषा में ऐसे अनेक शब्द प्रयुक्त होते हैं, जो थोड़े से ध्वनि- परिवर्तन के साथ प्राकृत व अपभ्रंश से ग्रहण कर लिये गये हैं । प्राकृत और गुजराती- गुजराती और राजस्थानी में घनिष्ट सम्बन्ध रहा है। इन पर मध्य देश की शौरसेनी प्राकृत व अपभ्रंश का अधिक प्रभाव है। एल. पी. टेसीटरी ने गुजराती और राजस्थानी के स्वरूप आदि पर विशेष प्रकाश डाला है तथा उन पर प्राकृत के तत्त्वों को स्पष्ट किया है। प्राकृत और गुजराती के कुछ समान शब्द इस प्रकार हैं ।
प्राकृत
घडइ
जांचइ
खण्डई
प्राकृत
अंगोहलि
अर्थ
बनाता है
मांगता है
तोडता है
उत्थल
ओइल्ल
उण्डा
कटु
गहिल्ल
गुजराती
अंघोल
अर्थ
शरीर का स्नान
उथल-पाथल उलट - फेर
ओढनी
गहरा
बदनाम, बुरा
मन्दबुद्धि, घेलु
ओलबु
उण्डा
काठु
गहिल
डबब
बांया
लीट
रेखा
गुजराती के बहुत से सर्वनाम भी अपभ्रंश से सीधे आये हैं । हेमचन्द्र के अनुसार अपभ्रंश में कथं तथा केथा को एम और इम आदेश होते हैं। जैसे - केम
समप्पउ तुज्झ दिणं । गुजराती के केम छे, एम छे आदि
212 0 प्राकृत रत्नाकर
डाबु
टी