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२८.५ मुनि मुद्रा : मंत्र : ॐ ह्रीं णमो लोए सव्वसाहूणं विधि : मंत्र का उच्चारण कर के श्वास भरते हुए नमस्कार मुद्रा में हाथो को कान से स्पर्श करते हुए, हो सके उतना ऊँचा उठाएँ, कुछ सेकंड श्वास रोकते हुए अंजलि बनाकर फिर धीरेधीरे श्वास छोडते हुए, अंजलि बनाये हुए हाथो को जमीन से लगाकर, सिर झुकाते हुए श्वास को कुछ सेकंड के लिए रोकें और फिर श्वास को भरते हुए दोनों हाथों को ऊपर लेकर कुछ सेकंड श्वास रोकें और फिर श्वास छोडते हुए पूर्वस्थिति में आयें। आध्यात्मिक लाभ : • मुनि मुद्रा से समता और सहिष्णुता के भाव की वृध्धि होती है। • हरएक के प्रति मैत्री और करुणा के भाव आते है। • अहंकार की भावना दूर होकर मृदुता - ऋजुता के भाव आते है । शारीरिक लाभ : • अर्हमुद्रा के सभी लाभ के अलावा द्वेष और इर्ष्या से होते हुए मानसिक रोग
से मुक्ति मिलती है।
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