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________________ को अंगूठे पर माला रखकर तर्जनी या अनामिका से माला करनी चाहिए । आनंदकेन्द्र के पास माला रखकर, नाखून न लगे इस तरह से माला करनी चाहिए । नोट : अंर्तमुहूंत में यह मुद्रा करने से ज्यादा लाभ होता है । यह मुद्रा करते वख्त हथेली आसमान की ओर रहनी चाहिए । ४ शून्यमुद्रा: मध्यमा के अग्रभाग को अंगूठे के मूल भाग पर लगाकर उसके ऊपर अंगूठा रखकर हल्का दबाव देकर बाकी की अंगुलियाँ सीधी रखते हुए शून्य मुद्रा बनती है । लाभ: • कान के कोई भी दर्द के लिए यह खास मुद्रा है । ५ से १० मिनट करने से तुरंत राहत मिलती है। कान के दर्द में, सतत कान में आवाज आना, कम सुनाई देना, कान का बहना आदि कोई भी कान की तकलीफ में बीमारी ठीक न हो तब तक यह मुद्रा निरंतर करनी चाहिए। जन्म से गूंगे न हो पर आवाज ठीक न हो तब यह मुद्रा करने से आवाज अच्छी होती है। बच्चे को कभी गालपर मारने से या किसी के साथ टकराने से कान में तम्मर चढ जाये तब तुरंत यह मुद्रा करने से राहत मिलती है। . कोई भी अंग में सून चढ जाये तब यह मुद्रा से फायदा होता है । नोट : ऊपर बतायी हुई तकलीफ दूर होने के बाद यह शून्यमुद्रा का अभ्यास भी बंध कर देना चाहिए।
SR No.002286
Book TitleMudra Vignan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNilam P Sanghvi
PublisherPradip Sanghvi
Publication Year
Total Pages66
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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