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श्राद्धविधि प्रकरणम्
95 परदारपरद्रव्यपरद्रोहपराङ्मुखः।। गङ्गाप्याह कदाऽऽगत्य, मामयं पावयिष्यति? ।।५।। दुराचारी पुरुष हजारों भार (तोल विशेष) मिट्टी से, सैकडों घड़े पानी से तथा सैकडों तीर्थों के जल से नहावे तो भी शुद्ध नहीं होते। जलचर जीव जल में ही उत्पन्न होते हैं, और जल में ही मृत्यु को प्राप्त होते हैं; परन्तु मन का मेल नहीं धुलने से वे स्वर्ग में भी नहीं जाते। जिनका चित्त शमदमादिक से, मुख सत्यवचन से और शरीर ब्रह्मचर्य से शद्ध है, वे गंगानदी में गये बिना भी शुद्ध ही हैं। जिनका चित्त रागादिक से, वचन असत्यवचन से और शरीर जीवहिंसादिक से मलीन हो, उन पुरुषों से गंगा नदी भी अलग रहती है। जो पुरुष परस्त्री से, परद्रव्य से, और दूसरे के परद्रोह से दूर रहता है, उसको लक्ष करके गंगा नदी भी कहती है कि-ये महानुभाव कब आकर मुझे पवित्र करेंगे?
इसके ऊपर एक कुलपुत्र का दृष्टांत है, यथातुम्ब स्नान दृष्टांत : ___एक कुलपुत्र गंगादि तीर्थ को जाता था। उसे उसकी माता ने कहा कि, 'हे वत्स! तू जहां स्नान करे, वहां मेरे इस तुम्बे को भी नहलाना।' यह कहकर उसकी माता ने उसे एक तुम्बा दिया। कुलपुत्र भी गंगा आदि तीर्थ में जाकर माता की आज्ञानुसार अपने साथ तुम्बे को नहलाकर घर आया। तब माता ने उस तुम्बेका शाक बनाकर पुत्र को परोसा। पुत्र ने कहा, 'बहुत ही कडवा है।' माता ने कहा, 'जो सैकडों बार नहलाने से भी इस तुम्बे की कटुता नहीं गयी, तो स्नान करने से तेरा पाप किस प्रकार चला गया? वह (पाप) तो तपस्यारूपी क्रियानुष्ठान से ही जाता है। माता के इन वचनों से कुलपुत्र को प्रतिबोध हुआ।
असंख्यात जीवमय जल, अनंत जीवमय काई आदि और बिना छाना पानी हो तो उसमें रहने वाले पोरे आदि त्रस जीव, इनकी विराधना होने से स्नान दोषमय है। यह बात प्रसिद्ध है। जल जीवमय है, यह बात लौकिक में भी कही है। उत्तरमीमांसा में कहा है कि
लूतास्यतन्तुगलिते, ये बिन्दौ सन्ति जन्तवः।
सूक्ष्मा भ्रमरमानास्ते, नैव मान्ति त्रिविष्टपे ॥१॥ मकडी के मुख में से निकले हुए तंतु के ऊपर से छनकर पड़े हुए पानी के एक बिन्दु में जो सूक्ष्म जीव हैं, वे जो भ्रमर के बराबर हो जायें तो तीनों जगत् में न समायें, इत्यादि। भावस्नान : ___ अब भावस्नान की व्याख्या करते हैं-ध्यानरूपी जल से कर्मरूपी मल दूर करने से जीव को जो सदाकाल शुद्धता का कारण होता है उसे भावस्नान कहते हैं। कोई पुरुष को द्रव्यस्नान करने पर भी जो फोड़े आदि बहते हों तो उसे अपने पास से