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________________ २२ संस्कृत व्याकरण-शास्त्र का इतिहास था, परन्तु कार्याधिक्य से लिख न सका । अब स्वस्थ्य अत्यन्त गिर जाने से इनका प्रकाशन सम्भव नहीं। विशिष्ट सम्मान एवं पुरस्कार पूर्व लिखित लगभग ५० वर्ष के संस्कृत भाषा के अध्यापन तथा उसमें किये गये विविध शोधकार्य के लिये जो विशिष्ट सम्मान एवं पुरस्कार प्राप्त हुए वे इस प्रकार हैं विशिष्ट सम्मान १-राजस्थान राज्य के संस्कृत विभाग ने वेद और व्याकरण शास्त्र सम्बन्धी शोधकार्य पर ३०००-०० रुपया देकर सम्मानित किया । सन् १९६३ २-भारत के राष्ट्रपति ने संस्कृत भाषा की उन्नति और विस्तार तथा साहित्यिक सेवा के लिये सम्मानित किया । सन् १९७७ (राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित व्यक्ति को सरकार सम्प्रति ५००० रु० वार्षिक सहायता देती है।) ३-उत्तर प्रदेश शासन ने व्याकरण शास्त्र सम्बन्धी विशिष्ट सेवा के लिये १५००००० का विशिष्ट पुरस्कार दिया । नव० १९७६ ग्रन्थों पर पुरस्कार-उत्तर प्रदेश शासन द्वारा १. सं० व्या० शास्त्र का इ० भाग १ पर ६००.०० सन् १९५२ २. वैदिक स्वर-मीमांसा पर ७००.०० सन् १९५६ ३. वैदिक छन्दोमीमांसा पर ५००.०० सन् १९६१ ४. काशकृत्स्नधातुव्याख्यानम् पर ५००-०० सन् १९७२ ५. माध्यन्दिन-पदपाठ पर ५००.०० सन् १९७३ ६. महाभाष्य-हिन्दी व्याख्या, भाग २ पर ५००.०० सन् १९७४ ७. ऋग्वेदभाष्य (स्वा० द०स०)भाग१पर २५००.०० सन् १९७५ ८. ऋग्वेदभाष्य , , भाग २-३ पर ३०००-०० सन् १९७६ ६. महाभाष्य-हिन्दी व्याख्या, भाग ३ पर ३०००-०० सन् १९७६ (इस के पश्चात् उ० प्र० सरकार के उत्तर प्रदेशीय लेखकों तक यह पुरस्कार सीमित कर देने से अगले ग्रन्थों पर प्राप्त नहीं हो सका ।
SR No.002284
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages340
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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