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________________ संस्कृत व्याकरण-शास्त्र का इतिहास ३. दशपाधुणादिवृत्तिः-पाणिनीय व्याकरण सम्प्रदाय में यह वृत्ति अत्यन्त प्रामाणिक मानी जातो है। परन्तु इसके हस्तलेख अति दुर्लभ हो गये हैं। अत्यन्त प्रयास से इसके विविध स्थानों से अनेक हस्तलेख उपलब्ध करके शतशः अन्य ग्रन्थों के साहाय्य से इस वृत्ति का सम्पादन किया है। आरम्भ में ५५ पृष्ठों में संस्कृतभाषा में उणादिसूत्र और उनकी वत्तियों का इतिहास लिखा है। यह वृत्ति राजकीय संस्कृत महाविद्यालय वाराणसी (वर्तमान संस्कृत विश्वविद्यालय) की सरस्वती-भवन ग्रन्थावली में प्रकाशित हुई है। सन् १९४२ ४. शिक्षा-सूत्राणि-आचार्य प्रापिशलि, पाणिनि और चन्द्रगोमी के मूलभूत शिक्षासूत्रों का सम्पादन तथा प्रकाशन। सन् १९४६ परिष्कृत वा परिवर्धित संस्करण। सन् १९६७ ५. क्षीर-तरङ्गिणी-पाणिनीय धातुपाठ के प्रौदीच्य पाठ पर क्षीर-स्वामी विरचित क्षीर-तरङ्गिणी नाम्नी सबसे प्राचीन व्याख्या का सम्पादन । इसमें लगभग ७०० महत्त्वपूर्ण टिप्पणियों में अनेक विषयों का स्पष्टीकरण किया है। प्रारम्भ में संस्कृत में ४० पृष्ठों में पाणिनीय धातुपाठ और उनके व्याख्या ग्रन्थों का इतिहास लिखा है। (रामलाल कपूर ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित)। सन १९५८ ६. देवं पुरुषकारवात्तिकोपेतम् -पाणिनीय धातुपाठ पर प्राचीन अतिप्रामाणिक ग्रन्थ का विविध प्रकार की लगभग ६५० टिप्पणियों के साथ सम्पादन तथा प्रकाशन । सन १९६२ ७. काशकृत्स्न-धातुपाठ-की चन्नवीर कविकृत कन्नड टीका का संस्कृत रूपान्तर तथा सम्पादन । उत्तर प्रदेश सरकार से पुरस्कृत। सन् १९६५ ८. काशकृत्स्न-व्याकरणम्-काशकृत्स्न-व्याकरण का परिचय, तथा उपलब्ध १३५ सूत्रों की संस्कृत में व्याख्या। सन १९६५ ___. माध्यन्दिन-पदपाठ-वि० संवत् १४७१ के विशिष्ट हस्तलेख तथा अन्य विविध मुद्रित वा हस्तलिखित ग्रन्थों के आधार पर आदर्श संस्करण का सम्पादन । इस कार्य पर राजस्थान सरकार ने ३ वर्ष तक १५०-०० डेढ़ सौ रुपया मासिक सहायता दी है। उत्तरप्रदेश शासन से पुरस्कृत। सन् १९७१
SR No.002284
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages340
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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