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________________ ५३ संस्कृत व्याकरण-शास्त्र का इतिहास ५०० पाठ हैं । बहुत विद्वान् व्यक्ति है । मैत्रेय का हस्तलेख उस के पास है । उसे . १. भागवृत्ति संकलन २. पंचपादी ३. प्रापिशलि आदि शिक्षाएं रजिस्ट्री भेजें । प्रागे से मेल रखें। संस्कृत कालेज तथा रायल ए० सो Kshitish Chandra Chatterji M. A. 81 Shyambazar Street ___Calcutta 4. पुस्तक को बहुत परिमार्जित बनाएं । यह अवश्य लिखें, अब ग्रन्थ का रूप कैसा बन गया है । काल क्रम और तिथियां सुनिश्चित लिखें । व्याडि, शौनक से २० वर्ष पहले । लम्बी आयु, सब बातें विचार लें। योरुपीय भाषा विज्ञान पर कोई प्रबल नया आक्षेप निकालें । सभा' की बैठक कब है ? तब अवश्य मिलूगा । अभी लौटती डाक लिखें। १५ कात्य बौधायन धर्म [भी] भी स्मृत है । देखलें । सब प्रमाण एकत्र ___कर दें। गोपथ ब्राह्मण का अपरपक्षीय कवि पाञ्चाल चण्ड' कौन था। - भ० दत्त आपिशलि आदि चरण-प्रवचन के पश्चात् थे। शतपथ ब्राह्मण अनुशासनानि-अथ शब्दानुशासन आदि हैं। पहले सब शासन था २० पुनः अनुशासन भ० दत्त प्रोम् नई देहली २०-१-४६ प्रियवर पं० जी, नमस्ते । पो० मिला । धन्यवाद छान्दसा अपि लोके प्रयुज्यन्ते१. अर्थात् परोपकारिणी सभा अजमेर की बैठक । २. अथापरपक्षीयाणां कविः पञ्चालचण्ड: परिपृच्छको बभूव । ३० ......... . . गो० ब्रा० १॥१॥२७॥
SR No.002284
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages340
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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