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२/६२ लक्ष्य-प्रधान काव्यशास्त्रकार वैयाकरण कवि ४८६
(५) रामचन्द्र शर्मा रामचन्द्र शर्मा नामक विद्वान् ने सौपद्म व्याकरण के अनुसार भट्टिकाव्य की व्याख्यानन्द नाम्नी टीका लिखी है।' ग्रन्थकार स्वयं लिखता है
'नत्वा श्रीनयनानन्दचक्रवतिपदाम्बुजम् । व्याख्यानन्दो मया ग्रन्थस्तन्यते यत्प्रसादतः ॥ वारेन्द्रवंशसंभूतश्रीरामचन्द्रशमणा। तन्यते भट्टिकाव्यस्य टीकेयं स्वानुकारिणी ॥ सौपद्मका नवं मूलं शिष्यान् बोधयितु मया।
रचिता बहुशो यत्नात् सुधीभिदृश्यतामियम् ॥' १० इस उपन्यास से स्पष्ट है कि रामचन्द्रशर्मा वारेन्द्र-वंशसंभूत .. था, और इसके गुरु का नाम नयनानन्द चकवर्ती था।
(६) विद्याविनोद विद्या विनोद नामक विद्वान् ने भट्टिकाव्य पर भट्टिचन्द्रिका नाम्मी व्याख्या लिखा हैं । इस ग्रन्थ के प्रारम्भ का पाठ इस प्रकार १५
पलाचनम।
'वन्दे दूदिलश्यामं रामं राजीवलोचनम्। जानकीलक्ष्मणोपेतं भक्त्याभीष्टफलप्रदम् ।। नत्वा तातपदद्वन्द्वं ज्ञात्वा ग्रन्थकृदाशंयम् । विद्याविनोदः कुरुते टीको श्रीभट्टिचन्द्रिकाम् ॥'.. . २०
. (७) कन्दर्पशर्मा कन्दर्पशर्मा ने सौपद्म प्रक्रियानुसार भट्टिकाव्य की टीका लिखी है। वह ग्रन्थ के प्रारम्भ में लिखता है- .
'सौपनानां प्रीतये भटिकाव्ये टोकां धीरकन्दर्पशर्मा। ....................................................."
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१. यहां से आगे उल्लिखित टीका-ग्रन्थों का संग्रह मद्रास राजकीय हस्तलेख संग्रह में भट्टिकाव्यव्याख्याषट्कोपेतम्' के नाम निर्दिष्ट है। द्र०-. सूचीपत्र भाग ६, पृष्ठ ७६७२, संख्या ५७१२ ।