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४६० संस्कृत व्याकरण-शास्त्र का इतिहास
परिचय-जगदीश तर्कालंकार के पितामह का नाम सनातन मिश्र और पिता का नाम यादवचन्द्र विद्यावागीश था। सनातन मिश्र चैतन्य महाप्रभु के श्वशुर थे। जगदीश के ४ भाई और थे। यह उन
में तृतीय था। ५ जगदीश तर्कालंकार ने न्यायशास्त्र का अध्ययन भवानन्द सिद्धान्त
वागीश से किया था। ___ जगदीश तर्कालंकार ने सं० १७१० वि० में 'शब्दशक्तिप्रकाशिका' की रचना की है। इसके अतिरिक्त न्याय के अन्य भी कई ग्रन्थ जगदीश तर्कालंकार ने लिखे हैं।
व्याख्याकार १. कृष्णकान्त विद्यावागीश -कृष्णकान्त विद्यावागीश ने शब्दशक्तिप्रकाशिका' पर एक विस्तृत टीका लिखी है।
कृष्णकान्त के गुरु रामनारायण तर्कपञ्चानन नामक वैदिक विद्वान् थे। ये नवद्वीप के निवासी थे। इनके वंशज सम्प्रति भी १५ नवद्वीप में गङ्गापार विद्यमान हैं, ऐसी अनुश्रुति है।
- कृष्णकान्त ने अपनी टीका का लेखनकाल स्वयं शक सं० १७२३ लिखा है
'शाके रामाक्षिशेलक्षितिपरिगणिते कर्कटे याति भानौ ।' तदनुसार यह टीका सं० १८५८ वि० में लिखी गई।
कृष्णकान्त ने शक सं० १७४० तदनुसार वि० सं० १८७५ में न्यायसूत्र पर सूत्रसंदीपनी टीका भी लिखी है।
२-रामभद्र सिद्धान्तवागीश-नवद्वीप निवासी रामभद्र सिद्धान्तवागीश ने भी 'शब्दशक्तिप्रकाशिका' पर एक लघु टीका लिखी है । इसका नाम सुबोधिनी है। ___ रामभद्र का काल अज्ञात है, परन्तु दोनों टीकाओं की तुलना से विदित होता है कि रामभद्र की टीका कृष्णकान्त की टीका से प्राचीन
_इस प्रकार इस अध्याय में व्याकरण के दार्शनिक ग्रन्थकारों का
वर्णन करके अगले अध्याय में लक्ष्य-प्रधान वैयाकरण कवियों का वर्णन ३० करेंगे।