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[ १६] २४-उणादि सूत्रों के प्रवक्ता और व्याख्याता २०२ ___ उणादि सूत्रों की निदर्शनार्थता २०३, उणादि-पाठ के नामान्तर २०३, उपलभ्यमान प्राचीन उणादि सूत्र २०५ ।
पाणिनि से पूर्ववर्ती-१. काशकृत्स्न २०५; २. शान्तनव' २०७; ३. प्रापिशलि २०७।
४. पाणिनि २०६; पञ्चपादी का प्रवक्ता २०६, शाकटायन प्रोक्त मानने में भ्रान्ति का कारण २११, दशपादी का प्रवक्ता २११, पञ्चपादी का मूल त्रिपादी २१५, पञ्चपादी के अवान्तर पाठ २१६ ।
पञ्चपादी के व्याख्याकार-१. भाष्यकार २१८, २ गोवर्धन २१८, परिचय २१८, ३. दामोदर २२०, ४. पुरुषोत्तमदेव २२१, ५. सूतीवृत्तिकार २२२, ६. उज्ज्वलदत्त २२२, देश काल २२३, ७. दिद्याशील २२६, ८. श्वेतवनवासी २२७, ६. भट्टोजि दीक्षित २३०, १०. नारायणभट्ट २३१, ११. महादेव वेदान्ती २३१, वाचस्पति गैरोला की भूल २३३, १२. रामभद्र दीक्षित २३४, १३. वेङ्कटेश्वर २३५, १४. पेरुसूरि २३६, १५. नारायण सुधी २३७, १६. शिवराम २३८, १७. रामशर्मा २३६, १८. स्वामी दयानन्द सरस्वती २४०, वृत्ति का वैशिष्टय २४०, वृत्तिकार का साहस २४१, अ य वैशिष्ट्य २४२, पाठभ्रंश २४३ । १६, २०, २१, २२. अज्ञातनाम २४४-२४५, देशपादी उणादिपाठ २४५, दशपादी का आधार पञ्चपादी २४५, दशपादी का वैशिष्टय २४७, वृत्तिकार--१. माणिक्यदेव २५०, २ अज्ञातनाम २५६, ३. विट्ठलार्य २५७ ।।
पाणिनि से उत्तरवर्ती--५. कातन्त्र उणादिकार २५८, वृत्तिकारदुर्गासंह २५६; ६. चन्द्राचार्य २६०; ७. क्षपणक २६१; ८. देवनन्दी २६१; ६. वामन २६१; १०. पाल्यकीति २६३, ११. भोजदेव २६३, वत्तिकार-भोजदेव, दण्डनाथ, रामसिंह, पदसिन्धसेतुकार २६४; १२. बुद्धिसागर सूरि २६५; १३. हेमचन्द्रसूरि २६५; १४. मलयगिरि २६६; १५. क्रमदीश्वर २६५, वृतिकारक्रमदोश्वर, जुमरनन्दी, शिवदास २६६-२६७; १६. मुग्धबोध सम्बद्ध
१. ग्रन्थ में 'शतनु' पाठ छा है, वहां सर्वत्र 'शान्तनव' शोधे ।