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________________ [१६] तद्धितान्त भी रूढ शब्द १६ । धातुस्वरूप -धातुलक्षण १६, शब्दों के धातुजत्व पर विचार १७, भारतीय मत का स्पष्टीकरण १७, प्राचीन वाङ्मय के साहाय्य से स्पष्टीकरण १७ । धातु का प्राचीन स्वरूपधातुलझण का स्पष्टीकरण १८, धातु प्रातिपदिक १८, अति प्राचीन शब्दप्रवचन शैली १६, उत्तरकालीन स्थिति २१, अवरकालीन स्थिति २२ । वर्तमान धातुपाठों में मूलभूत शब्दों का निर्देश-दस प्रकार से धातुपाठ में मूल शब्दों का उल्लेख २१-२५। २०-धातुपाठ के प्रवक्ता और व्याख्याता (१) २६ पाणिनि से पूर्ववर्ती प्राचार्य --१. इन्द्र २७ । २. वायु २७ । ३. भागुरि २७ । ४. काशकृत्स्न-धातुपाठ की. उपलब्धि २८, धातुपाठ का नामान्तर २६, काशकृत्स्न धातुपाठ का वैशिष्टय ३०, व्याख्याकार चन्नवीर कवि ३६, व्याख्या का वैशिष्टय ३७ । ५. शाकटायन ३९ । ६. प्रापिशलि ४०। २१-धातुपाठ के प्रवक्ता और व्याख्याता (२)[पाणिनि]४४ .. ६. पाणिनि और उसका धातुपाठ-धातुपाठ के पाणिनीयत्व पर प्राक्षेप ४४, पाणिनीयत्व में प्रमाण ४८, क्या धात्वर्थ-निर्देश अपाणिनीय है ? ५२, धातुपाठ का द्विविध प्रवचन (लघ-वृद्ध) ६०, क्या अर्थ-निर्देश भीमसेन का है ? ६३, वृद्धपाठ का विविधत्व ६५, पाठ की अव्यवस्था ६७, साम्प्रतिक पाठ सायण-परिष्कृत है ७१, संहितापाठ का प्रामाण्य ७२, उभयथा सूत्रविच्छेद पाणिनीय है ७३, धातुपाठ सस्वर था ७४, पाणिनीय धातुपाठ का आश्रयप्राचीन धातुपाठ ७५, श्लोकबद्ध धातुपाठ ७८, धातुपाठ से सम्बद्ध अन्य ग्रन्थ ७६। धातुपाठ के व्याख्याता -१. पाणिनि ८३; २. सुनाग ८४; ३. भीमसेन ८५; ४.धातुपारायण ८६ । ५. अज्ञातनामा ८९; ६. नन्दिस्वामी ६०; ७. राजश्री-धातुवृत्तिकार ६०; ८. नाथीय-धातुवृत्तिकार ६१; 8. कौशिक ९१ १०. क्षीरस्वामी-देशकाल ६२, क्षीरस्वामी स्वोकृत धातुपाठ ६७, क्षीरतरङ्गिणी का हमारा संस्करण ६७, क्षीरस्वामी के अन्य ग्रन्थ १८; ११. मैत्रेयरक्षित परिचय १०१, अन्य ग्रन्थ १०२, धातुप्रदीप टीका-१०२; १२. हरियोगी १०३; १३. देव १०४; १४. कृष्ण लीलाशुक मुनि-पुरुषकारवार्तिक १०६;
SR No.002283
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages522
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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