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सहायता दें रहै हैं ।' आपके इस निष्काम सहयोग के लिए मैं अत्यन्त आभारी हूं।
ग्रन्थ-प्रकाशन में विशिष्ट सहयोग इस ग्रन्थ के प्रकाशन में उन महानुभावों का सहयोग तो है ही, जिन्होंने स्थायी सदस्य बनकर सहायता की। उनके अतिरिक्त श्री रामलाल कपूर एण्ड सन्स, पेपर मर्चेण्ट प्रा. लि. अमतसर ने इस पुस्तक के लिए विना अग्रिम-मूल्य लिए कागज देने की कृपा की, और श्री पं० भीमसेन जी शास्त्री देहली ने ५००) रु० की सहायता की। श्री ओम्प्रकाश जी तथा श्री विजयपाल जी आदि ने प्रफ संशोधन का कार्य किया। श्री पं० बालकृष्ण जी शास्त्री, स्वामी ज्योतिषप्रकाश प्रेस, वाराणसी ने इस ग्रन्थ के मुद्रण में विशेष प्रयत्न किया। इन कार्यों के लिए उक्त सभी महानुभावों का मैं कृतज्ञ हूं। भारतीय-प्राच्यविद्या-प्रतिष्ठान ] (विदुषां वशंवदः२४।२१२ रामगंज, अंजमेर युधिष्ठिर मीमांसक
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द्वितीय संस्करण 'संस्कृत व्याकरण-शास्त्र का इतिहास' का द्वितीय भाग लगभग ४ वर्ष पूर्व समाप्त हो चुका था। पूज्य गुरुवर्य श्री पं० ब्रह्मदत्त जी जिज्ञासु के स्वर्गवास (२२ दिसम्बर १६६४) के पश्चात ट्रस्ट का कार्यभार मझे संभालना पड़ा। अनेकविध भयङ्कर रोगों से जर्जरित शरीर इस भारी कार्यभार को वहन करने में सर्वथा असमर्थ था फिर भी रामलाल कपूर परिवार के साथ बाल्यकाल से विशिष्ट सम्बन्ध होने के कारण मैं उनके आदेश को अस्वीकार नहीं कर सकता था, मुझे यह कार्यभार वहन करना ही पड़ा। इस समय रामलाल कपूर ट्रस्ट का कार्य भारत-विभाजन के पश्चात् काशी में चल रहा था,
१. श्रीमान् छोवड़ा जी लगभग ११-१२ वर्ष तक मुझे यह सहायता देते रहे।