________________
२/१२ धातुपाठ के प्रचक्ता और व्याख्याता (२)
५६
४-धातु-पारायणकार धातुपाठ पर 'पारायण' नाम का कोई प्राचीन ग्रन्थ कई ग्रन्थों में उद्धृत है। पाणिनीय व्याकरण से सम्बद्ध ग्रन्थों में इस का निर्देश होने से यह पोणिनीय धातुपाठ पर था, ऐसी सम्भावना है। यथा
१-नामधातुपारायणादिषु । काशिका के प्रारम्भ में। ५
२-ततः अभ्र बभ्रेति ....'बाबभ्रयते भवतीति पारायणिकाः । ज्ञापकसमुच्चय, पृष्ठ १००।
३-अनिदित् पारायणेष्वपाठि, गोजति जुगोज । पुरुषकार, पृष्ठ ५४ ।
४-पारायणिकैरनुक्तोऽपि क्षिपिर्दैवादिको ......"। पुरुषकार १० पृष्ठ ८५ ।
५–कसि गतिशासनयोरिति पारायणिकैरुदाहारि, कंस्ते कस्तः इति । पुरुषकार पृष्ठ १११।
हमारा विचार है कि उपर्युक्त उद्धरणों में निर्दिष्ट धातु-पारायण सम्भवतः भीमसेन कृत धातूवृत्ति का वाचक हों। ये सभी उद्धर्ता १५ पाणिनीय व्याकरण से सम्बद्ध व्यक्ति हैं । अतः इनका हैम धातुपारायण या पूर्णचन्द्र विरचित चान्द्र धातुपारायण का उल्लेख करना सम्भव नहीं है। सम्भव है भीमसेनीय धातुपारायण नाम के आधार पर ही हेमचन्द्र और पूर्णचन्द्र ने अपनी धातुवृत्तियों का नाम धातु. पारायण रखा हो। भीमसेनीय धातुवृत्ति का नाम 'धातुपारायण' २० होने पर 'धातुपारायणकार' नाम से निर्दिष्ट पृथक् धातुवृत्तिकार नहीं होगा।
५--अज्ञातनामा किसी प्राचीन अज्ञातनामा विद्वान् ने धातुपाठ पर एक वृत्तिग्रन्थ लिखा था । इस वृत्तिकार और इसके वृत्ति ग्रन्थ के अनेक उद्धरण २५ क्षीरतरङ्गिणी, पुरुषकार और निघण्टुव्याख्या आदि में उपलब्ध होते हैं। यथा
१-क्षीरस्वामी श्रथि शैथिल्ये' धातुसूत्र के व्याख्यान में लिखता