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संस्कृत व्याकरण-शास्त्र का इतिहास ७. विनयचन्द्र
हैम (संस्कृत) ढुढिका ८. मुनिशेखर
हैम लघुवृत्ति ढुढिका ६. धनचन्द्र
हैम अवचूरि १०. उदय सौभाग्य (सं० १५९१) हैम चतुर्थपाद वृत्ति ११. जिन सागर
हैम व्याकरणदीपिका १२. रत्नशेखर
हैम व्याकरण अवचुरि १३. वल्लभ (सं० १६६१ ज्ञान
विमलशिष्य) हैम दुर्गपदव्याख्या , १४. श्रीप्रभसूरि (सं० १२८०) हैम कारकसमुच्चय
" , हैमवृत्ति , डा० वेल्वालकर ने 'सिस्टम्स आफ संस्कृत ग्रामर' नामक ग्रन्थ में हैम व्याकरण के ७ व्याख्याकारों का उल्लेख किया है। उनमें पूर्व सूची से निम्न नाम अधिक हैं१५. विनय विजयगणी
हैम लघप्रक्रिया १५ १६. मेघविजय .. हैम कौमुदी
डा० वेल्वाल्कर ने अज्ञातनामा व्यक्ति के शब्दमहार्णव न्यास का भी उल्लेख किया है, वह वस्तुतः प्राचार्य हेमचन्द्र का स्वोपन न्यास है।
आचार्य हेमचन्द्र के साहित्यिक कार्य के परिचय के लिए 'श्री जैन २० सत्यप्रकाश' वर्ष ७, दीपोत्सवी अंक (१९४१) में पृष्ठ ७५-६० तक
श्री अम्बालाल प्रेमचन्द्र शाह का 'मध्य कालीन भारतना महावैयाकरण' लेख, और पृष्ठ ६१-१०६ तक श्री मुनिराज सुशीलविजयजी का 'कलिकालसर्वज्ञ श्री हेमचन्द्राचार्य अने तेमनु साहित्य' लेख देखना चाहिये।
१३. मलयगिरि (सं० ११८८-१२५० वि०)
...जैन आचार्य मलयगिरि ने 'शब्दानुशासन' के नाम से एक सानोपाङ्ग व्याकरण लिखा है। यह शब्दानुशासन सं० २०२२ (मार्च १६६७ ई०) में प्रकाशित हुआ है । इसके सम्पादक श्री पं० बेच रदास