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संस्कृत व्याकरण-शास्त्र का इतिहास
घ्यायी पर एक वत्ति लिखी थी। इसका उल्लेख जयन्त स्वयं अपने अभिनवागमाडम्बर' नामक रूपक के प्रारम्भ में किया है । उसका लेख इस प्रकार है
'अत्रभवतः शैशव एव व्याकरणविवरणकरणाद् वृत्तिकार इति ५ प्रथितापरनाम्नो भट्टजयन्तस्य कृति रभिनवागमाडम्बरनाम किमपि रूपकम् ।'
परिचय भट्ट जयन्त ने न्यायमञ्जरी के अन्त में जो परिचय दिया है, उस से विदित होता है कि जयन्त के पिता का नाम 'चन्द्र' था। शास्त्रार्थों १० में जोतने के कारण वह 'जयन्त' नाम से प्रसिद्ध हुना, और इसका
'नववतिकार' नाम भी था।' जयन्त के पुत्र 'अभिनन्द' ने 'कादम्बरीकथासार' के प्रारम्भ में अपने कुल का कुछ परिचय दिया है। वह इस प्रकार है
'गोड़वंशीय भारद्वाज कुल में 'शक्ति' नाम का विद्वान् उत्पन्न १५ हुप्रा । उसका पुत्र 'मित्र', और उसका 'शक्तिस्वामो' हुा । शक्ति
स्वामी कर्कोट वंश के महाराजा 'मुक्तापीड' का मन्त्री था । शक्तिस्वामी का पुत्र 'कल्याणस्वामी', और उसका 'चन्द्र' हुा । चन्द्र का पुत्र 'जयन्त' हा। उसका दूसरा नाम 'वृत्तिकार' था। वह 'वेद
वेदाङ्गों का ज्ञाता, और सर्व शास्त्रार्थों का जीतनेवाला था। उसका २१ पुत्र साहित्यतत्त्वज्ञ 'अभिनन्द' हया।
१. भट्टः चतुःशाखाभिज्ञः।' जगद्वर मालतीमावर की टीका के प्रारम्भ में।
२. वादेवाप्तजयो जयन्त इति यः ख्यातः सतामग्रगी-रन्वर्थो नववृत्तिकार इति यं शंसन्ति नाम्ना बुधाः सूनुाप्तदिगन्तरस्य यशसा चन्द्रस्य चन्द्र त्विषा, चक्रे चन्द्रकलावचूलचरणाव्यायी सघन्यां कृतिम् ।। पृष्ठ ६५६ ।
३. शक्ति मामवद् गौडो भारद्धाजकुले द्विजः । दीर्वाभिसारमासाद्य कृतदारपरिग्रहः । तस्य मित्राभिधानोऽभूदात्मनस्तेजमां निधिः। जनेन दोषोपरमप्रबुद्धेनाचितोदयः । स शक्तिस्वामिनं पुत्रमवार श्रुतिशालिनम् । राज्ञः कर्कोटवंशस्य मुक्तापीडस्य मन्त्रिणम् ।। कल्याणस्वामिनामास्य याज्ञवल्क्य इवाभवत् ।
तनयः शद्धयोगद्धि-निर्धूतभवकल्मषः ॥ अगाधहृदयात् तस्मात परमेश्वरमण्ड, ३० यम् । अजायत सुत: कान्तश्चन्द्रो दुग्धोदघेरिव ॥ पुत्रं कृतजन नन्दं स जयन्त