SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 539
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ संस्कृत व्याकरण- शास्त्र का इतिहास 'काशिका' की सब से प्राचीन व्याख्या जिनेन्द्रबुद्धि विरचित 'काशिका विवरणपञ्जिका' है । वैयाकरण-निकाय में यह 'न्यास' नाम से प्रसिद्ध है । यह व्याख्या जयादित्य और वामन की सम्मिलित वृत्ति पर है । ५०२ जयादित्य और वामन के ग्रन्थ का विभाग पं० बालशास्त्री द्वारा सम्पादित काशिका में प्रथम चार अध्यायों के अन्त में जयादित्य का नाम छपा है, और शेष चार श्रव्यायों के अन्त में वामन का । हरि दीक्षित ने 'प्रौढमनोरमा' की शब्दरत्न व्याख्या में प्रथम द्वितीय पञ्चम तथा षष्ठ अध्याय को जयादित्य१० विरचित, और शेष अध्यायों को वामनकृत लिखा है । प्राचीन ग्रन्थकारों ने जयादित्य और वामन के नाम से काशिका के जो उद्धरण दिये हैं, उन से विदित होता है कि प्रथम पांच अध्याय जयादित्यविरचित हैं, और श्रन्तिम तीन वामनकृत । जयादित्य के नाम से काशिका के उद्धरण निम्न ग्रन्थों में उपलब्ध १५ होते हैं अध्याय १ – भाषावृत्ति पृष्ठ १८, २६ । पदमञ्जरी भाग १, पृष्ठ २५२ । भाषावृत्त्यर्थं विवृत्ति के प्रारम्भ में । अध्याय २- भाषावृत्ति पृष्ठ 8 । पदमञ्जरी भाग २, पृष्ठ ६५२ । २० अध्याय ३ – पदमञ्जरी भाग २, पृष्ठ ६६२ । अमरटीका सर्वस्व भाग ४, पृष्ठ १० । परिभाषावृत्ति सीरदेवकृत, पृष्ठ ८१ । अध्याय ४ – अमरटीका सर्वस्व भाग १, पृष्ठ १३८ । भाषावृत्ति - पृष्ठ २४३, २५४ । , अध्याय ५ – भाषावृत्ति पृष्ठ २६६, ३१०, ३२४, ३२८, ३३५, २५ ३४२, ३५२, ३६२, ३६६ । पदमञ्जरी भाग २, पृष्ठ ३८६, ८९१ । अष्टाङ्गहृदय की सर्वाङ्गसुन्दरा टीका, पृष्ठ ३ । ' १. प्रथम द्वितीयपञ्जमषष्ठा जयादित्यकृतवृत्तयः इतरे वामनकृतवृत्तय भक्ताः । भाग १, पृष्ठ ५०४ । २. श्रध्यायनुवाकयोरित्यादी सूत्र विकल्पेन चायं लुगिष्यत इति जगाद - जयादित्यः । ३०
SR No.002282
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages770
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy