SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 484
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ महाभाष्य के टीकाकार , ४४७ ५. प्रौढमनोरमा-महाभाष्य ११६९ की व्याख्या में शिवरा मेन्द्र सरस्वती ने लिखा है एतेन प्रत्याहाराणां तद्वाच्यवाच्ये निरूढलक्षणेति मनोरमा प्रत्युक्ता। द्र० भाग ३, पृष्ठ २३२ । शिवरामेन्द्र सरस्वती द्वारा प्रत्याख्यात मनोरमावचन प्रौढ़मनो- ५ रमा के प्रारम्भ में द्रष्टव्य है। द्र० चौखम्बा मुद्रित, पृष्ठ १६ । ६. मयूखमाला-शिवरामेन्द्र सरस्वती ने महाभाष्य १।१।५ की व्याख्या में लिखा है शासिवसिघसीनां चेति सूत्रे घसिग्रहणज्ञापकात् कार्यकालपक्ष सिद्धिरिति प्रपञ्चितं मयूखमालिकायाम् । भाग १, पृष्ठ ३२६ । १. वाक्यरचना से यह मयूखमालिका ग्रन्थ शिवरामेन्द्रकृत प्रतीत होता है। उपर्युक्त ग्रन्थों में से शब्दकौस्तुभ सिद्धान्तकौमुदो और प्रौढ़मनोरमा का निर्देश करने से स्पष्ट होता है कि शिवरामेन्द्र सरस्वती भट्टोजि दीक्षित से कुछ उत्तरवर्ती अथवा समकालिक है । यह इसकी १५ पूर्व सीमा है। नागेश भट्ट शिवरामेन्द्र सरस्वती के प्राशय को नहीं स्वीकार करता है, कहीं-कहीं अपरोक्षरूप से खण्डन करता है। यथा १. विति च (अष्टा० १।१।५) के 'लकारस्य ङित्त्वादादेशेषु' वार्तिक के प्रदीप के 'पिद् ङिन्न' प्रतीक को उद्धृत करके नागेश २० लिखता है___ सार्वधातुकमित्यत्रापिदिति योगविभागेन प्रसज्यप्रतिषेधेनायमर्थो 'लभ्यते । तत्र योगविभागसामर्थ्यात् स्थानिवत्त्वप्राप्ता या अन्या वा ङित्त्वप्राप्तिः सर्वा प्रतिषिध्यत इत्याशयः ।' इस पर नागेश का शिष्य वैद्यनाथ पायगुण्ड लिखता है- २५ लडो ङित्त्वस्य नित्यं डित इत्यादौ साफल्येन मिपः पित्त्वस्य टिल्लकारादेशत्वे साफल्येन लङादेश मिप्यातिदेशिक ङित्त्वं स्यादेव, १. नवाह्निक निर्णयसागर संस्क० पृष्ठ १६५, कालम २ ।
SR No.002282
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages770
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy