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________________ - महाभाष्य के टीकाकार ४०७ हजार)।' परन्तु उसी गणना-पद्धति से उपलब्ध पृष्ठों की संख्या २१७ है ।...""इसके १८०० पृष्ठ कहीं भारत में बचे होंगे। पृष्ठ २१३। ___समीक्षा-अब हम उपर्युक्त उद्धरणों की समीक्षा करते हैं। समीक्षा से पूर्व हम यह लिख देना आवश्यक समझते हैं कि हमारे ५ पास दीपिका की जो हस्तलिखित प्रति हैं, वह पंजाब विश्वविद्यालय लाहौर में मंगवाई गई फोटो कापी से 'मक्षिकास्थाने मक्षिकापातः' न्यायानुसार यथावत् की गई है। प्रतिलिपि करते समय सम्पूर्ण पाठ, चाहे वह हाशिये पर ऊपर नीचे कहीं भी हो, लिखा गया है। प्रतिलिपि के पश्चात उसका मूल ग्रन्थ से पुनः पाठ मिलाया गया है। १. प्रतिलिपि करते समय एक पृष्ठ का पाठ एक पृष्ठ में लिखा है। अर्थात् हमारी प्रतिलिपि फोटो कापी की सर्वथा अनुरूप कापी है। अतः हम जो भी समीक्षा करेंगे, वह सर्वथा यथार्थ होगी 1 श्री वर्माजी ने फोटोकापी से की हई प्रतिलिपि के आधार पर और कुछ स्मति के अनुसार लिखा है। अतएव उन्होंने मूल ग्रन्थ की पृष्ठ संख्या भी १५ प्रति विषय नहीं दी। १. प्रथम उद्धरण की बात मूल हस्तलेख में कहीं नहीं है। साथ ही ध्यान रहे कि मूल हस्तलेख ३०० वर्ष पुराना है । उस काल में 'पृष्ठ' शब्द का व्यवहार नहीं होता था, 'पत्रा' शब्द व्यवहार में आता था। दोनों ओर से लिखे पत्रे पर एक ही पत्रासंख्या डाली २० जाती थी। अतः वर्मा जी के उद्धरण में 'पृष्ठ संख्या २०००' लेख मूल प्रतिलिपिकार का हो ही नहीं सकता। हमारी प्रतिलिपि में ऐसा कोई पाठ अङ्कित नहीं है । अतः यह लेख सर्वथा चिन्त्य है । २. दूसरे उद्धरण की भी यही दशा है । मूल हस्तलेख में इस का कोई संकेत नहीं है। सम्भव है वर्मा जी को प्राप्त फोटो कापी २५ की प्रतिलिपि में लिपिकार ने कहीं प्रकरण-संगत प्रतीत न होने पर अपनी ओर से उक्तपंक्ति लिख दी होगी। ३. उद्धरण ३-४ के विषय में इतना ही कहना है कि जिस फोटो कापी की उन्हें प्रतिलिपि प्राप्त हुई, उस फोटो कापी पर भूल से पृष्ठ संख्या अशुद्ध लिखी गई। हमने जिस फोटो कापी से प्रतिलिपि ३० की थी, उसमें भी कुछ पृष्ठों पर पृष्ठ संख्या अशुद्ध डाली हुई थी। भाष्यक्रमानुसार हमने उन अशुद्ध संख्यावाले पृष्ठों को यथास्थान
SR No.002282
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages770
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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