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________________ विषय-सूची ६२८' कातन्त्र के वृत्तिकार-१ शर्ववर्मा ६२९; २ वररुचि ६२९, ३. शशिदेव ६३०, ४ दुर्गसिंह-६३०, काल ६३१; अनेक दुर्गसिंह ६३२ [दुर्गवृत्ति के टीकाकार- दुर्गसिंह ६३४, उग्रभूति ६३५, त्रिलोचनदास ६३६; (पञ्जिका-टीकाकार-त्रिविक्रम ६३७, श्री देशकाल ६३७, विश्वेश्वर तर्काचार्य ६३७, जिनप्रभ सूरि ६३७, कुशल ६३७, रामचन्द्र ६३७) वर्धमान ६३८, (व्याख्याकार-पृथिवीधर ६३८), वामदेव ६३६, श्रीकृष्ण ६३६, रघुनाथदास ६३६, गोविन्ददास ६३६, प्रद्युम्नसूरि ६३६, गोल्हण ६३६, सोमकीर्ति ६४०, काशीराज ६४०, लघुवृत्तिकार ६४०, हरिराम ६४०, चतुष्टयप्रदीपकार ६४०; ] ५. चिच्छुम वृत्तिकार ६४०, ६. उमापति ६४१; ७. जिमप्रभ सूरि ६४१; (कातन्त्र-विभ्रम अवणिकार-चरित्रसिंह ६४२, कातन्त्र विभ्रभावचूर्णिकार गोपालाचार्य ६४२) ८ जगद्धर ६४३, (टीकाकार-राजानक शितिकण्ठ ६४४,) ६ पुण्डरीकाक्ष विद्यासागर ६४४, १० छच्छुकभट्ट ६४४, ११ कर्मधर ६४५, १२. धनप्रभ सूरि ६४५, १३. मुनि श्रीहर्ष ६४५, अन्य व्याख्याकार-जिनप्रबोध सूरि ६४५, प्रबोध मूर्तिगणि ६४५, कुलचन्द्र ६४६, प्रक्रिया ग्रन्थ ६४६ । २. चन्द्रगोमी-परिचय ६४६, काल ६४८, चान्द्र व्याकरण की विशेषता ६४८, चान्द्र तन्त्र और स्वर-वैदिकप्रकरण ६४६, उपलब्ध चान्द्र तन्त्र असम्पूर्ण ६५०, अन्तिम अध्यायों के नष्ट होने का कारण ६५३, अन्य ग्रन्थ ६५३, चान्द्र-वृत्ति का रचयिता ६५४, कश्यप भिक्षु ६५५ । ३. क्षपणक-६५६, परिचय काल ६५६, स्वोपज्ञ-वृत्ति ६५७, क्षपणक-महान्यास ६५७ । ४. देवनन्दी-६५७, जैनेन्द्र नाम का कारण ६५८, जैनेन्द्र व्याकरण के दो संस्करण ६५८, जैनेन्द्र का मूल सूत्रपाठ ६५८, जैनेन्द्र व्याकरण की विशेषता ६६०, जैनेन्द्र व्याकरण का आधार ६६२, व्याख्याता–१ देवनन्दी ६६२, २ अभयनन्दी ६६२, ३ प्रभाचन्द्राचार्य ६६५, ४ भाष्यकार ६६६, ५ महाचन्द्र ६६६ । प्रक्रियाग्रन्थकार-आर्य श्रुतकीर्ति ६६७, वंशीधर ६६७; जैनेन्द्र का दाक्षिणात्य संस्करण-शब्दार्णव का संस्कर्ता-गुणनन्दी ६६७, काल ६६८, व्याख्यातासोमदेव सूरि ६६९, शब्दार्णवप्रक्रियाकार ६७० । ५. वामन-काल ६७०, मल्लवादी का काल ६७१, विश्रान्तविद्याधर के व्याख्याता-वामन ६७४, मल्लवादी ६७५ । ६. पाल्यकीति-शाकटायन-तन्त्र का कर्ता ६७५, परिपरिचय ६७६, काल ६७७, शाकटायन तन्त्र की विशेषता ६७८, अन्य ग्रन्थ ६७६; व्याख्याता-पाल्यकीर्ति ६७६, [टीकाकार-प्रभाचन्द्र ६८०]; अमोघविस्तर ६८१, यक्षवर्मा ६८१; प्रक्रियाग्रन्थकार-अभयचन्द्राचार्य ६८२,
SR No.002282
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages770
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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