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संस्कृत व्याकरण-शास्त्र का इतिहास
१६-पाणिनीय व्याकरण के प्रक्रिया-ग्रन्थकार ५८२
दोनों प्रणालियों से अध्ययन में गोरव-लाघव ५८२ । पाणिनीय, क्रम का महान् उद्धारक ५८५ । १. धर्मकीति-५८५, काल ५८६,टीकाकार-१ शंकरराम ५८७, २ धातुप्रत्ययपञ्जिका टीकाकार ५८७, ३ अज्ञातकर्तृक ५८८, ४ अज्ञातनामा ५८८ । २. प्रक्रियारत्नकार ५८८ । ३. विमलमति ५८६ । ४. रामचन्द्र-५८६, परिचय ५८६, काल ५६०; प्रक्रियाकौमुदी के व्याख्याता-१ शेष कृष्ण ५६१; २ विठ्ठल ५६२, ३ चक्रपाणिदत्त ५६५, ४ अप्पन नैनार्य ५६६, ५ वारणवनेश ५९५, ६ विश्वकर्मा शास्त्री ५६६, ७ नृसिंह ५६५, ८ निर्मलदर्पणकार ५९६, ६ जयन्त ५९६, १० विद्यानाथ दीक्षित ५६७, ११ वरदराज ५६७, १२ काशीनाथ ५८७ । ५. भट्टोजि दीक्षित ५६७, सिद्धान्तकौमुदी के व्याख्याता-१-भट्टाजि दीक्षित ५६८, २ ज्ञानेन्द्र सरस्वती ५६८, ३ नीलकण्ठ वाजपेयी ५६६, ४ रामानन्द ५६६, ५. रामकृष्ण ६००, ६. नागेश भट्ट ६०१, ७. रङ्गनाथ यज्वा ६०१, ८ वासुदेव वाजपेयी ६०१, ६ कृष्णमित्र ६०२, १० तिरुमल द्वादशाहयाजी ६०२, ११ तोप्पल दीक्षित ६०२, १२-१५ अज्ञात-कर्तृक ६०२, १६ लक्ष्मी नृसिंह ६०३, १७ शिवरामेन्द्र सरस्वती ६०३, १८ इन्द्रदतोपाध्याय ६०३, १६ सारस्वत व्यूढमिश्र ६०३, २० वल्लभ ६०३; प्रोढमनोरमा के खण्डनकर्ता-१ शेष धीरेश्वर-पुत्र ६०३, २ चक्रपाणिदत्त ६०४, ३ पण्डितराज जगन्नाथ ६०४ । ६. नारायण भट्ट ६०५, प्रक्रियासर्वस्व के टीकाकार ६०७ । अन्य प्रक्रिया-ग्रन्य ६०७ । १७-आचार्य पाणिनि से अर्वाचीन वैयाकरण ६०८
१६ प्रमुख वैयाकरण ६०८ । प्राग्देवनन्दी जैन व्याकरण ६०६ । कवीन्द्राचार्य के सूचीपत्र में निर्दिष्ट व्याकरण ६११ । १. कातन्त्रकार-६११, कातन्त्र कलापक कौमार सारस्वत शब्दों के अर्थ ६१२, मारवाड़ी सीवीपाटी और कातन्त्र ६१३, मत्स्य पुराण की दाक्षिणात्य प्रति में कातन्त्र का विशिष्ट उल्लेख ६१४ काशकृत्स्न तन्त्र का संक्षेप कातन्त्र ६१५, काल ६१५ कातन्त्र व्याकरण के दो पाठ-वृद्ध-लघु ६२१, लघु कातन्त्र का प्रवक्ता ६२१, कृदन्त भाग का कर्ता-कात्यायन ६२३, कातन्त्रपरिशिष्ट का कर्ता--श्रीपतिदत्त ६२४, कातन्त्रोत्तर का कर्ता-विजयानन्द ६२५, कातन्त्र-प्रकीर्णविद्यानन्द ६२५, कातन्त्र छन्दःप्रक्रिया-श्रीचन्द्रकान्त ६२५, कातन्त्र का संस्कार ६२५, कातन्त्र-संबद्ध वर्णसमाम्नाय ६२६,प्रत्याहार सूत्र ६२७,कातन्त्र का प्रचार