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संग्रहकार व्याडि
२९६ विन्ध्यवासी सांख्याचार्य सांख्यकारिका की युक्तिदीपिका टीका में बहुधा उद्धृत है।' किसी विन्ध्यवासी ने बसुबन्धु के गुरु बुद्धमित्र को दाद में पराजित किया था। वह विन्ध्यवासी विक्रम का समकालिक
था।
नन्दिनीसुत -इस नाम का उल्लेख कोशग्रन्थों से अन्यत्र हमें नहीं ५ मिला।
मेधावी-भामह अलङ्कार शास्त्र २।४०,८८ में किसी अलङ्कारशास्त्र-प्रवक्ता 'मेधावी' को उद्धृत करता है । ___ इन पर्यायों में व्याडि के प्रसिद्धतम दाक्षायण नाम का उल्लेख नहीं हैं। अतः प्रतीत होता है कि हेम केशव और पुरुषोत्तमदेव के १० लिखे हए पर्याय प्राचीन व्याडि प्राचार्य के नहीं हैं। व्याडि नाम के कई व्यक्ति हुए है, यह हम अनुपद लिखेंगे । ___ व्याडि-वैयाकरण व्याडि आचार्य का उल्लेख ऋक्प्रातिशाख्य" महाभाष्य, काशिकावृत्ति और भाषावृत्ति आदि अनेक ग्रन्थों में मिलता है। . व्याडि पद का अर्थ-धातुवृत्तिकार सायण व्याडि पद का अर्थ " इस प्रकार लिखता है
अडो वृश्चिकलाङ्ग्लम्, तेन च तैक्षण्यं लक्ष्यते, विशिष्टोऽडस्तैक्ष्ण्यमस्य व्यडः, तस्यापत्यं व्याडिः । अत इन्, स्वागतादीनां चेति वृद्धिप्रतिषेधैजागमयोनिषेधः । ।
अनेक व्याडि-व्याडि नाम के अनेक प्राचार्य हुए हैं। प्राचीन व्याडि संग्रह ग्रन्थ का रचयिता है। इस व्याडि का उल्लेख ऋक्प्रातिशाख्य आदि अनेक प्राचीन ग्रन्थों में मिलता हैं । एक व्याडि कोशकार है।
१. पृष्ठ पंक्ति–४;७ । १०८; ७, १०, ११, १२, १३ । १४४; २० । १४६; १०॥ २. पं० भगवद्दत्तजी कृत भारतवर्ष का बृहद् इतिहास, , द्वि० संस्क०, पृष्ठ ३३७ । ३. वही, पृष्ठ ३३७। ४. २१२३, २८; " ६१४६; १३।३१, ३७ ॥ ५. प्रापिशलपाणिनीयव्याडीयगौतमीयाः । ६।२।३६॥ द्रव्याभिधानं व्याडिः । ।२।६८। ६. पूर्व पृष्ठ १४४ ।
७. इकां यभिर्व्यवधानं व्याडिगालवयोरिति वक्तव्यम् ।
८. धातुवृत्ति पृष्ठ ८२, 'चौखम्बा' संस्क० । तुलना करो-काशिका ३० ७३७; प्रक्रिया को० पूर्वार्ध, पृष्ठ ६१४; गणरत्नमहोदधि पृष्ठ ३६ ॥