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________________ २८२ संस्कृत व्याकरण-शास्त्र का इतिहास अन्त्यलेखानुसार इस का रचयिता भरद्वाज है।' इस का संबन्ध तैत्तिरीय शाखा के साथ है। हमें इस के प्राचीन होने में संन्देह है। कोहली शिक्षा भी छप चुका है। कोहल प्राचीन प्राचार्य है। याज्ञवल्क्यशिक्षा यदि याज्ञवल्क्य मुनि प्रोक्त हो तो वह भी पाणिनि से प्राचीन होगी। व्यास शिक्षा भी सं० १९७६ में प्रकाशित हुई है। इस वि चना से स्पष्ट है कि न्यून से न्यून शौनकीया, गालवीया, चारायणी, आपिशली, कौशिकीया, कोहली, याज्ञवल्कीया और पाणिनीया ये आठ शिक्षाएं तो पाणिनि के समय अवश्य विद्यमान थीं । शिक्षा के व्याख्यान ग्रन्थ-शिक्षा पद गणपाठ ४ । ३ ७३ में पढ़ा १. है। वहां 'तस्य व्याख्यानः' का प्रकरण होने से स्पष्ट है कि पाणिनि के समय शिक्षा पर व्याख्यान ग्रन्थ भी रचे जा चुके थे। प्रापिशलशिक्षा के वृत्तिकार नामक षष्ठ प्रकरण का प्रथम सूत्र है-स एवं व्याख्याने वृत्तिकाराः पठन्ति-अष्टादशप्रभेदमवर्णकुलम् इति । यहां वृत्ति कार पद से या तो व्याकरण के व्याख्याकारों का निर्देश है या शिक्षा १५ के। हमारा विचार है-यहां वृत्तिकार पद से शिक्षा के व्याख्याकार अभिप्रेत हैं। ऐसा ही एक प्रयोग भर्तृहरिविरचित वाक्यपदीय ब्रह्मकाण्ड की स्वोपज्ञटीका में मिलता है-बहधा शिक्षासूत्रकारभाष्यकारमतानि दृश्यन्ते ।' इस पर टीकाकार वृषभदेव लिखता है शिक्षाकारमतस्योक्तत्वात् शिक्षाणामेव ये भाष्यकारास्ते गृह्यन्ते ।' २० पाणिनीय शिक्षा-सूत्रों के षष्ठ प्रकरण का नाम भी वतिकार ही है। इन उद्धरणों से व्यक्त है कि पाणिनि के समय शिक्षाग्रन्थ पर अनेक वृत्तियां बन चुकी थीं। ८. व्याकरण-अष्टाध्यायी के अवलोकन से विदित होता है कि पाणिनि के काल में व्याकरणशास्त्र का वाङमय अत्यन्त विशाल २५ था। पाणिनि ने अपने शब्दानुशासन में दश प्राचीन वैयाकरणों का नामोल्लेखपूर्वक स्मरण किया है। वे दश आचार्य ये हैं-प्रापिशलि (६।१।९२), काश्यप (१।२।२१), गार्ग्य (८।३।२०), गालव (७।१।७४), चाक्रवर्मण (६।१।१३०), भारद्वाज (७२।६३), शाकटायन (३।४।१११), शाकल्य (१।१।१६), सेनक (५।४।११२), ३० १. यो जानाति भरद्वाजशिक्षाम्। पृष्ठ ६६ । २. पृष्ठ १०४, लाहौर संस्क० । ३. वही, पृष्ठ १०५ ।
SR No.002282
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages770
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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