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योद्धा - महाभारत शान्तिपर्व १५।१७ ( पूना सं ० ) के अनुसार वायु महान् योद्धा था | वायु पुराण ५६।११८ में वायु को ब्रह्मवादी ५ कहा है ।
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'संस्कृत व्याकरण - शास्त्र का इतिहास
शिष्य - वायु पुराण १०३।५६ में लिखा है - वायु से उशना कवि ने पुराणज्ञान प्राप्त किया था ।'
पुराण - वायु पुराण १।४७ के अनुसार मातरिश्वा ( = वायु) ने वायु पुराण का प्रवचन किया था ।" महाभारत वन पर्व ९९१ १६ में १० वायुप्रोक्त पुराण का निर्देश मिलता है ।
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वायुपुर - वायु पुराण ६०।६७ में वायु के नगर का नाम लिखा है |
वायुपुर
गाथाएं - मनुस्मृति १४२ में वायुगीत गाथाओं का उल्लेख है ।" महाभारत शान्तिपर्व ७२ में ऐल पुरुरवा और मातरिश्वा का संवाद मिलता है ।
५ – भरद्वाज ( ९३०० वि० पू० )
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व्याकरणशास्त्र का तृतीय आचार्यं बार्हस्पत्य भरद्वाज है । यद्यपि भरद्वाजतन्त्र इस समय उपलब्ध नहीं है, तथापि ऋक्तन्त्र के पूर्वोक्त * प्रमाण से स्पष्ट है कि भरद्वाज व्याकरणशास्त्र का प्रवक्ता था ।
परिचय
वंश - भरद्वाज आङ्गिरस बृहस्पति का पुत्र है । ब्राह्मण ग्रन्थों में बृहस्पति को देवों का पुरोहित कहा है । कोशग्रन्थों में बृहस्पति का पर्याय 'सुराचार्य' लिखा है।"
सन्तति - काशिकावृत्ति २।१।१९ तथा २।४।८४ में भरद्वाज के २१ अपत्यों का निर्देश है ।" ऋग्वेद की सर्वानुक्रमणी में भरद्वाज के
१. तस्माच्चोशनसा प्राप्तम् । २. पुराणं संप्रवक्ष्यामि यदुक्तं मातरिश्वना । ३. वायुप्रोक्तमनुस्मृत्य पुराणमृषिसंस्तुतम् । ४. अत्र गाथा वायुगीता: । ५. पूर्व पृष्ठ पर ६२ उद्धृत ।
६. बृहस्पतिवें देवानां पुरोहितः । ऐ० ७. अमरकोश १ । २५ ॥
३० उदाहरण जैन शाकटायन की लघुवृत्ति १ । २ । १६० में भी है ।
ब्रा० ८ । २६ ॥
८. एकविंशति भारद्वाजम् । यह