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________________ १२ पाणिनीयाष्टक में अनुल्लिखित प्राचीन प्राचार्य ८६ द्धृत उद्धरण में लिखा है कि भरद्वाज ने इन्द्र से शब्दशास्त्र का अध्ययन किया था। चरक ने कहा है-भरद्वाज ने इन्द्र से आयुर्वेद पढ़ा था और आत्रेय पुनर्वसु ने भरद्वाज से', परन्तु वाग्भट ने आत्रेय पुनर्वसु को इन्द्र का साक्षात् शिष्य लिखा है। यह भरद्वाज सुराचार्य बृहस्पति आङ्गिरस का पुत्र है। इस का वर्णन हम अनुपद करेंगे। ५ सुश्रुत के अनुसार धन्वन्तरि ने इन्द्र से शल्यचिकित्सा सीखी थी। आयुर्वेद की काश्यप सहिता में लिखा है-इन्द्र ने काश्यप, वसिष्ठ, अत्रि और भगु को आयुर्वेद पढ़ाया था। वायुपुराण १०३।६० में लिखा है इन्द्र ने वसिष्ठ को पुराणोपदेश किया था । पिङ्गलछन्द के टीकाकार यादवप्रकाश के मत में इन्द्र ने असुर-गुरु शुक्राचार्य को १० छन्दःशास्त्र पढ़ाया था। पार्थसारथि मिश्र द्वारा उद्धृत प्राचीन वचनानुसार इन्द्र ने आदित्य को मीमांसाशास्त्र पढ़ाया था। यह आदित्य कौन था ? यह अज्ञात है। देश-पूरा काल में भारतवर्ष के उत्तर हिमवत पाव निवास करने वाली आर्य जाति 'देव' कहाती थी। देवराज इन्द्र उस का १५ अधिपति था । विशेष घटनाएं-छान्दोग्य उपनिषद ८७-११ में लिखा है कि इन्द्र ने अध्यात्मज्ञान के लिए प्रजापति के समीप (३२+३२+३२ +५=)१०१ वर्ष ब्रह्मचर्य पालन किया था। पूरा काल में अनेक देवासुर संग्राम हुए। वायु-पुराण ६७१७२-७६ में इन की संख्या१२ २० लिखी है । ये सब इन्द्र की अध्यक्षता में हुए थे। इन का काल न्यूनातिन्यून ३०० वर्ष के लगभग है। इस सुदीर्घ देवासुर संग्राम काल में इन्द्र वेदों से विमुख हो गया । देवासुर संग्रामों के समाप्त होने पर उसने अपने शिष्य विश्वामित्र से पुनः वेदों का अध्ययन किया । इस २५ १. ऋषिप्रोक्तो भरद्वाजस्तस्माच्छक्रमुपागमत् । चरक सूत्र० ११५ ॥ २. चरक सूत्र० १०२७-३०॥ ३. सोश्विनौ, तो सहस्राक्षं, सोऽत्रिपुत्रादिकान् मुनोन् । अष्टाङ्गहृदय सूत्र० १॥३॥ ४. इन्द्रादहम् । सूत्र० १।१६। ५, हर ऋषिभ्यश्चतुर्थ्य: कश्यप-वसिष्ठ-अत्रि-भृगुभ्यः। पृष्ठ ४२ । . ६. इन्द्रश्चापि वसिष्ठाय। ७. तस्माद् दुश्च्यवनस्ततोऽसुरगुरुः... "। छन्द:टीका के अन्त में। ८. पूर्व पृष्ठ ८८, टि० १। ३०
SR No.002282
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages770
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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