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________________ षट्खंडागम की शास्त्रीय भूमिका निर्गमन करने वाला जीव भेद नारकी मिथ्यादृष्टि सासादन सम्यग्मिथ्यादृष्टि सम्यग्दृष्टि सप्तम पृथिवीस्थ मिथ्यादृष्टि तिर्यंच सं.पं.पं. संख्या मिथ्यादृष्टि असंज्ञी पं. प. १ पं. सं. अप. २ पं. असं. अप. ३ पृथिवी. बा. सू.प.अ. ४ जल. 33 ५ वन. निगोद ... 19 ६ वन. बा. प्र. प. अप. ७ द्वीप. अ. ८ श्री. 11 afaa गति से किस गति में जाता है (गत्यागति चूलिका सूत्र ७६ - २०२ ) 11 ९ चतु., तैज. बा.सू.प. अप. 11 11 वायु,, सासादन संख्या सम्यग्मिथ्या. संख्या. असंख्या. नरक X X X X X सर्व प्रथम पृथिवी X X X X प्राप्त करने योग्य गतियाँ देव मनुष्य तिर्यंच पं.सं.ग.प. ग. प. संख्या. संख्या X X पं.सं.ग.प.संख्या सर्व 11 11 XX एकई. (पृथि. जल. वन. प्र. बा.सू.), पं.सं.ग.प. संख्या. X X X ग. प. संख्या X सर्व सर्व संख्या सर्व संख्या 11 X ग. प.संख्या. असंख्या. X X X X X X भवनवासी से शतार-सहस्रार तक भवन व्यंतर X X भवन से शतार सहस्रार तक X ३७८ विशेष निर्गमन नहीं होता सप्तम पृथिवी में केवल मिथ्यात्व से ही निर्गमन होता है। निर्गमन नहीं होता
SR No.002281
Book TitleShatkhandagam ki Shastriya Bhumika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2000
Total Pages640
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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