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________________ ३७७ षट्खंडागम की शास्त्रीय भूमिका ४. गतियों में प्रवेश और निर्गमनसम्बन्धी गुणस्थान (गत्यागति चूलिका सूत्र ४४-७५) गति प्रवेश कालीन गुणस्थान निर्गम कालीन गुणस्थान नरक पृथम पृथ्वी के नारकी मिथ्यात्व सासादन | सम्यक्त्व मिथ्यात्व सम्यक्त्व मिथ्यात्व X सम्यक्तव मिथ्यात्व X | सम्यक्त्व सासादन द्वितीय से छठवीं पृथ्वी तक के नारकी सातवीं पृथ्वी के नारकी सासादन सम्यक्त्व सासादन सम्यक्तव सम्यक्तव तिर्यंच-मनुष्य-देव पंचेन्द्रिय तिर्यंच पर्याप्त व अपर्याप्त पंचेन्द्रिय तिर्यच योनिमती मनुष्यिनी भवनवासी देव-देवियां व्यंतर,, ज्योति ,, सौधर्म-ईशानवासी देवियां मिथ्यात्व. मिथ्यात्व | सासादन | सम्यक्त्व सासादन सासादन मिथ्यात्व सासादलन सम्यक्त्व मनुष्य पर्याप्त व अपर्याप्त तथा सौधर्म से नौ ग्रेवेयक • तक के देव अनुदिशों से सर्वार्थसिद्धि तक के देव
SR No.002281
Book TitleShatkhandagam ki Shastriya Bhumika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2000
Total Pages640
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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